भगवती आराधना | Bhagvati Aaradhna

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Bhagvati Aaradhna  by कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री - Kailashchandra Siddhantshastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६०४ अगवती आराधना प्रशस्यगुणसद्भाव॑ज्वरवृद्धनिमितितां चापेद्य न शोभनभिति वो मूर्षकान्ततों नापि सत्यमेबेति दधात्म- कंता ॥११८९॥। संसयवयणी य तहा असच्चमोसा য অন্ুমী নাঝা | णवमी अणक्खरगदा असच्चमोसा इवदि णेया ॥ ११९०। 'संसयवधणो' किसय॑ स्थाणुरुत पुरुष हत्यादिका हयोरेकस्य सद्भावमित्तरस्याभाव चपिक्षय द्विरूपता । *जणक््षरगदा' अ ङ्गुलिस्फोटादिष्वनि कृताकृतसकेतपुरुषपेक्षय प्रतौतिनिमित्ततामनिमित्तता च प्रतिपद्यते इत्यु मयस्पा ।1११९०॥ उर्गमरप्यायणएसणाहिं पिंडपुवधि सेज्जं च | सोधितस्स य पुणिणो विसुज्न्रए एसणासमिदी ॥ ११९१॥ 'उरगस उप्पादणएसणाहि' उद्गमोत्पादनैषणादोष रहित भक्तमुपक्ररण वर्सात न गृह्लुत एपणासमितिर्भ- वतीति सूत्रार्थ । दश्वकालिकटीकाया श्रीविजयोदयाया प्रपञ्चिता उद्गमादिदोषा इति नेह प्रत- न्यन्ते ॥११९१॥ आदाननिक्षेप्रणसमितिनिरूपणा ग्राधा-- सहसाणाभोगिददुप्पमज्जिय अपच्चबेसणा दोसो । परिरमाणस्स हवे समिदी आदार्णाणक्खेवो ॥ ११९२ 'सहसणाभोगिद' आलोकनप्रमाजंने कृत्वा आदान निक्षेप इत्येको भद्ध । अनालोक्य प्रमार्जन कृत्वा ~~~ -----~- ~ ~---~ ~~~ --~~------- -~ ----- --~ ----~ -~ दुध उत्तम नहीं है ? यदि दरूमरा कहे कि माधुयं आदि प्रशस्त गुणोकी भपेक्षा तो उत्तम है किन्तु ज्व रको बढानेवाला होनेसे उत्तम नहीं है तो इस प्रकारके वचन न सवथा असत्य हैं और न सवथा सत्य हैँ किन्तु दोनो रूप होनेसे उभयात्मक हँ । यहं उभयात्मकसे इन वचनोको सत्य জীব असत्यरूप नही समझना चाहिए | किन्तु सत्य भी नहीं और असत्य भी नही अर्थात्‌ अनुभयरूप समझना चाहिए ॥११८५०॥। गा०--आठवी असत्यमृषा भाषा सदय बचनो है । जसे यह्‌ स्थाणु है या पुरुष । दोनोमेसे एकके सद्भाव गौर दूसरेके अभावकी अपेक्षा यह वचन उभयरूप है। और नोवी असस्यमुषा भाषा अनक्षरात्मक भाषा है। जैसे अंगुलि चटकाने आदिका शब्द | जिस पुरुषने सकेत ग्रहण किया है उसे तो ध्वनिसे प्रतीति होती है दूसरेको नही होती । इस त्तरह यह वचन उभयरूप है ॥११९०॥ अब एषणा समितिकां कथन करते हैं-- या०--उद्गम, उत्पादन मौर एषणा दोषोसे रहित भोजन, उपकरण भौर वसतिको ग्रहण करनेवारू मुनिकी एषणा समिति निमंल होती है ॥११९१॥ आदाननिक्षेपण समितिका कथन करते हैं-- गा०-टी०--विना देखे और विना प्रमाजेन किये पुस्तक आदिका ग्रहण करना या रखना




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