अग्नि परीक्षा | Agni Pariksha
श्रेणी : आयुर्वेद / Ayurveda, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.91 MB
कुल पष्ठ :
240
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ही विजकुट नामेक बत से राषण सौषा को से गंगा था । सीता को पुर' बतेवार्त देने
की पीर धलििव्यशा की भटना का मौ इज रामायण में कोई उस्तेख तहीं की
सक्मण एक भसाप्य रोप से पीडित होकर शरीर छोड़ देवे हैं। एम इस घटना द
बुखित होकर पनेक राजाएं घौर घपरी सीता भादि राशियों के साथ जैनी दीछा
सेते हैं ।
हे बुरामबाजायंकृत घत्तरपुरायस की यह राम-कबा फ्मेताम्बर सम्मरदाम में प्रथ
सित नहीं है । दिगम्गर परम्परा में राम-का की एक बारा यह रही है । हे
पुम्पक्त ने भी अपने उत्तरपुरास में वी रामऊषा लिखौ है। करत की
यमापण चामूंड राम-पुराश में भी राम कथा की इसी परम्परा को भपतासा समा है।
दिगम्थर प्रमाज मैं भी यह परम्परा जिरल रूप से रही है । मुख्य परम्पए तो एगेता
स्वर ब दिमम्बर दोषों समाजों से पद्रमचर्य भौर पदुमचरित बाली एस-कदा की
शी रही! हि
इस प्रश्ा जैंम बौद्ध भौए इंडिक इन तौतों ही परम्पथर्षी के कपा मेद
बहुत हो हरत धौर रोचक कहानी है।
काब्य-समीज्षा
ध्नि-भरीक्षा का कबा धसंग मुखत जिमत्तसूरि हुत पढम्ररिद्ध की रामाम्
पश्म्परा ले सम्बद्ध है । जम पाठकों के लिये झिन-परीक्षा का कपा प्रसंग जि परितित-
हा है । इतर पाठकों के लिये सीता के शहदोदर मॉमखल मरब्यनवास का संरखेक
करू रन अजब भादि कुछ एक पा लितास्त मदीन हो हाँगे। तथापि कबा- मय
में कोई मौलिक जे गहीं हे ।
'पी मैषिबीशरण गुप्त का महदाकाम्य साकेत भपीप्याममत के प्रसंप पर (ये
होगा है भौर पबार्य थी शुलसी का यह अपीत काम्प पस्ति-्यरीक्षा इसी प्रतंग से
घारम्स होता है। दोनों हाँ कार्प्यों की मापा हरा भौर सरस दिल््दी है । दोनों काम्प
फिलकर मारो श्र रामायण के पूरा भर उत्तरार्ध बस बाते हैं। चानेठ के
पश्शिम पड थे ल्ि-परीणा के पादि प्रयंय दोनों काम्यों की रचना एसी को परे
के घड़े उदाइरण असते है। साकेत के राज घोर मएत परस्पर जिसटे हैं-
गर विजात है कूद एदड़ से प्यों बुरपौत्तन
मिले गर्व से राग लिविज में सित्न्गपत सब |
“स्ट जाईँ तु ता न तुमसे राम लड़ा है
तेरा पत्तड़ा बड़ा धूनि घर पाज पढ़ा है!
सगे चतुदप बे बडा ये लहीं भजसा में
डिचरा विरि-दतिस्पुन्यार लंका के एग्ए मैं /
गम
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Bj
at 2018-04-26 12:16:01