सिंधी की त्रिवेणी | Sindh Ki Triveni (sami, Shah, Sachal)

Book Image : सिंधी की त्रिवेणी  - Sindh Ki Triveni (sami, Shah, Sachal)

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नन्दकुमार अवस्थी - Nandkumar Avasthi

Add Infomation AboutNandkumar Avasthi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
€₹১ री ২1২1 जा रला क अचुवादिक। ज1० कु० 4৯4 आसव।णी, एम. ए., साहित्यरत्न प्रकाशक य भवन वाणी ट्रस्ट के विशाल भाषा३ काययकंम में सिच्ची का समावेश अन तक नहीं हुआ बहु बात पाठकों को खटक॑ रही थी। किच्छु सिन्ची तथा देवनागरी लिपि और सिच्धची तेथा हिच्दी भाष। दोनो पर समान अधिकारूजआप्त विह्वार्च्‌ का सहयोग अब तक सुलभ न होने के कं रण, उत्कट इच्छ। होने के बावजूद, वाणीसरोवर में इस आवश्यक स्तभ का शुभ रभ न हो सका था । - - हष॑ की बात है कि श्री चिताई कॉलेज ऑफ कामर्स एण्ड एकोॉ- नामिव्र, बषई को प्राध्यापिका सुश्री कुम।री पुष्पा टी आसवाणी ने इस कार्य-भार को अपने ऊपर लेकर ट्रस्ट के इस अभाव की पति कर दी । कु० जआसवाणी हिन्दी तथा सोशिआलाणी की एम ए, साहित्थ-रत, लगसेग एक दशक से अध्यापन-कार्य में ख्थाति-श्राप्त और परम निष्णात है। यही नहीं, भारेती4 दशन मे उच्तक। उल्लेखनीय अचुराध है, और यही छुथोग है जिसके फलस्वरूप अपरिमित वेदान्त-स।हित्व की सभा सिच्धी भाष। के सामीम जा सलोक! जैसे जनरव कान्य-सभ्रह के सापुनाद लिप्यच्तरण का पुण्योदय हो रहा है। হও अचुपम सिन्धी वेद।च्च-रप्न की विशद प१रिचथ अचुन।दिक। के वक्त०्थ में शाप्त कोजिए । लसिच्धी भाष। को वर्णमाला में, अन्य सभी भारतीय भाषाओं की अपेक्षा, अधिक পথ हैं। इसमे हिन्दी के सन अक्षरों के अला१[, अरबी की समभ्र बर्णमाला तथा सिच्धची भाषा के निजी १1९ अक्षर-विशेष भी संशिविष्ट हैं। इतक विवरण अन्तं सिन्धी-देवनागरी” टेबुल मे दिया




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now