क्या धर्म क्या अधर्म | Kya Dharam Kya Adharam

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Book Image : क्या धर्म क्या अधर्म  - Kya Dharam Kya Adharam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २६ ) रोते हुए भ्पनी मल मय जीवन यात्रा को आगे यढने दीजिये । ¢ #% धमं का ममं জী, ইডি सृष्टि का निर्माण होने पर जीर्न म जव चेतना शक्ति उत्पन्न हुई ओर वे झुछ फर्तव्य अकर्तव्य फे सम्बन्ध में सोचते विचारने गे तो इनक सामने घ्म अधमं का प्रभ उर्पास्थत हुआ। उस प्रमय भाषा और लिपि का सुब्यस्थिव भ्चलन नहीं था भोरन कोई धम पुस्तफ हो मौजूद थी। शिक्षा देने वाले धर्म गुरु भी रष्टि गोचर न होते थे, ऐसी दशा में अपने अन्दर से पथ प्रदशन करने वासी भान्यात्मिक प्रेरणा जागृत ोती थी मनुष्य उसी के अनुसार भाषरण फरते ये। वेद घनादि, ईश्वर छव श्सका भयं यह्‌ है कि घम फ़ घादि स्रोत मनुष्यां हारा निर्मित नहीं हैं बरन्‌ सृष्टि के साथ ही अन्तरात्मा द्वारा दईैश्वर ने शते मानव जाति फे निमित्त भेजा था। वेद की भोपा या मन्त्र ररता ईश्वर निर्मित है यह मान्यता ठीऊ नहीं, वास्तविकता यह्ट है कि प्रवुद भात्माओं वाले ऋषियों के अन्तःकरण में ईश्वरीय सन्देश भाये धरोर उन्दने उन संदेशों रो मन्तो खी तरह र्व दिया प्रायः सभी धर्मों फी मान्यता यह दकि “उन्न घमं नादि दे, पेगखरों और भवतारों ने तो उनक्न पुनरुदार यात्र दिया है ।! , उत्बतः सभो धम अनादि हैं। भर्थात एक ही झनादि बम षी शाराए' ₹1 उनका पोपण जिस चस्तु से होता है.




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