पतझर और वसन्त | Patjar Aur Vasant
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)चिन्ता और चिता : १३
के भी अनेक उपाय हैं। एकान्त स्थान पर बैठकर । विचार
” कीजिए कि आपके मन में कितने प्रकार की चिन्ताएँ हैं, और
, वे किस कारण से पैदा हुई हैं? उन पर गम्भीरता के साथ विचार
. कीजिए.। अपने मन की चिन्ता को हर किसी के सामने कहने
. से कोई लाभ न होगा । यदि कोई व्यक्ति सही मायने में आपका
परम मित्र हो, तो अ्रवश्य ही उसके सामने अपनी समस्या को
. रख सकते हो । भावुकता को दूर करके विचार-बुद्धि से
- काम लेना चाहिए। कल्पना कीजिए, आपकी चिन्तां इस
प्रकार हैं--
| १--एक लड़का पढ़ता-लिखता कुछ नहीं है, वह पास
कंसे होगा ?
२-पास में घन तो है नहीं, फिर लड़की का विवाह कंसे
होगा ?
३-मेरा वेतन तो बढ़ा नहीं है, फिर इसमें गुजारा कैसे
होगा ? ।
उपयु क्त चिन्ताए आपको सदा परेशान रखती हैं। अब,
श्राप क्रमशः इन पर विचार कीजिए, खूब सोचिए, और
उपयोगी हल हू ढ़ने का प्रयत्न कीजिए । यदि आप अपनी विचार-
बुद्धि से काम लेंगे, तो उनका हल इस प्रकार से निकाल
सकेंगे-- +:
१-अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकाल कर, मैं. . .
स्वयं लड़के को प्रेम से पढ़ाने का प्रयत्न करूँगा । उसकी
दुर्वलता को दूर करने की कोशिश करूँगा । `
, - - २--पासमेघन नहीं है, यह सत्य है। पर लड़की का
` : विवाह साल-छह महीने बाद में भी हो संकता है। तब -तक :
User Reviews
No Reviews | Add Yours...