पतझर और वसन्त | Patjar Aur Vasant

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Patjar Aur Vasant by विजयमुनि - Vijaymuni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चिन्ता और चिता : १३ के भी अनेक उपाय हैं। एकान्त स्थान पर बैठकर । विचार ” कीजिए कि आपके मन में कितने प्रकार की चिन्ताएँ हैं, और , वे किस कारण से पैदा हुई हैं? उन पर गम्भीरता के साथ विचार . कीजिए.। अपने मन की चिन्ता को हर किसी के सामने कहने . से कोई लाभ न होगा । यदि कोई व्यक्ति सही मायने में आपका परम मित्र हो, तो अ्रवश्य ही उसके सामने अपनी समस्या को . रख सकते हो । भावुकता को दूर करके विचार-बुद्धि से - काम लेना चाहिए। कल्पना कीजिए, आपकी चिन्तां इस प्रकार हैं-- | १--एक लड़का पढ़ता-लिखता कुछ नहीं है, वह पास कंसे होगा ? २-पास में घन तो है नहीं, फिर लड़की का विवाह कंसे होगा ? ३-मेरा वेतन तो बढ़ा नहीं है, फिर इसमें गुजारा कैसे होगा ? । उपयु क्त चिन्ताए आपको सदा परेशान रखती हैं। अब, श्राप क्रमशः इन पर विचार कीजिए, खूब सोचिए, और उपयोगी हल हू ढ़ने का प्रयत्न कीजिए । यदि आप अपनी विचार- बुद्धि से काम लेंगे, तो उनका हल इस प्रकार से निकाल सकेंगे-- +: १-अपने व्यस्त समय में से कुछ समय निकाल कर, मैं. . . स्वयं लड़के को प्रेम से पढ़ाने का प्रयत्न करूँगा । उसकी दुर्वलता को दूर करने की कोशिश करूँगा । ` , - - २--पासमेघन नहीं है, यह सत्य है। पर लड़की का ` : विवाह साल-छह महीने बाद में भी हो संकता है। तब -तक :




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