श्रीमद भगवती सूत्रम् पार्ट - ६ | Shri Bhagwati Sutra Part -6
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
412
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १७४३ ] स्थविरो के সহলী
ह । उदादर्णा्थ-- किसी सेठ की खी ने कहा-“घर मे चोर 'घुख
आये हैं ।” सेठ ने उत्तर दिया-द्वां, मुके मालूम है.।? खी
बोली--जानते यो, मगर माट चला जायगा तो जानना क्या
काम आएगा 7 | जा .
माल जाने के समय ऐसी गलंती कदाचित् ही कोई करता
होगा, मगर धर्म के काम में अकसर ऐसी गलती होती है । यह
जानते हुए भी कि यह याज्य चौर यह प्राह है, मह्य को प्रण
नहीं कसते श्चौर दयाञ्य को दयागते नहीं । पेसी अवस्था मे जानना
किस काम भाया † प्रतएव विवेक की साधकता के दिए आच-
रण में उसका उपयोग करो ।
स्थविर भगवान् कहते ६--दम विवेक ओर विवेक का अर्थ
जानते हैं। न जानते होते तो आपके वचन्नों को कटुक रूप में प्रहण
स्योन करते?
मुनि ने कह्दा--अगर आप विवेक और विवेक के अर्थ
ऋ ২৯৬ কি, बा,
১৪ वेकं ১ _ ४७
को जानते है तो बताइए कि विवेक क्या हैं ओर उसका अर्थं
स्याद !?
स्थविर भगान् ने स्तर दिया--ष्टमारे मद
विदेक है ओर आत्मा ही व्विकका छथ ह । सनि
आसम्रावय समझ ल्चा हागा, मगर ह्
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