श्रीमद भगवती सूत्रम् पार्ट - ६ | Shri Bhagwati Sutra Part -6

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Shri Bhagwati Sutra Part -6 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १७४३ ] स्थविरो के সহলী ह । उदादर्णा्थ-- किसी सेठ की खी ने कहा-“घर मे चोर 'घुख आये हैं ।” सेठ ने उत्तर दिया-द्वां, मुके मालूम है.।? खी बोली--जानते यो, मगर माट चला जायगा तो जानना क्‍या काम आएगा 7 | जा . माल जाने के समय ऐसी गलंती कदाचित्‌ ही कोई करता होगा, मगर धर्म के काम में अकसर ऐसी गलती होती है । यह जानते हुए भी कि यह याज्य चौर यह प्राह है, मह्य को प्रण नहीं कसते श्चौर दयाञ्य को दयागते नहीं । पेसी अवस्था मे जानना किस काम भाया † प्रतएव विवेक की साधकता के दिए आच- रण में उसका उपयोग करो । स्थविर भगवान्‌ कहते ६--दम विवेक ओर विवेक का अर्थ जानते हैं। न जानते होते तो आपके वचन्नों को कटुक रूप में प्रहण स्योन करते? मुनि ने कह्दा--अगर आप विवेक और विवेक के अर्थ ऋ ২৯৬ কি, बा, ১৪ वेकं ১ _ ४७ को जानते है तो बताइए कि विवेक क्‍या हैं ओर उसका अर्थं स्याद !? स्थविर भगान्‌ ने स्तर दिया--ष्टमारे मद विदेक है ओर आत्मा ही व्विकका छथ ह । सनि आसम्रावय समझ ल्चा हागा, मगर ह्‌




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