आदिकाल के अज्ञात हिंदी रास काव्य | Aadikal Ke Agyat Hindi Raas Kavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
408
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४)
द-इनम सगीत तव क पूर्ण समावेश है ।
इ-नृत्य और अमिनय भी इनमे प्रधान हैं ।
हल्लीसत के विपय मे एव सकते यगाधर वत काम शास्त्र वी जयम गला
टीका मे मिल जाता है, वह 'मडल' मे हान वात स्त्रिया के उस नृत्य को जिसमे
एक नायक हाता है, हल्लीसक बहता है ओर प्रमाण में वह गापिया के हरि का
उनाहरणय दता 2 ।* हेमचद के वायातुलासन (१० ८४२--४४६) में हल्ली
सक् और रामक हब्त का उल्वेंस मित्र जाता है। उपदेश रसायव् रात वे
टॉकाकार न হালক্গ ঈশিকা দ্দী सरलता के सम्याध में बतलात हुए लिखा
है कि चर्चरी भौर रामक ये प्राकत प्रबाध इतन सहज व सरल हैं वि कोई भी
विद्वाद् पुरुष इन पर टावा नही विखना चाहता ।*
श्रामद्भागवत्त वी रामपचाध्यायी ता प्रसिद्ध हो है।३ झदुत रहमान वे
सन्न रासक में रास वो जगह रामय या रासठ मिलत है जा सम्मवत रामक
का ही ग्रपश्न शा है। शुभकर न गाप क्रीडाग्मा को ही राम कहा है । और जम
প্ৰ ঘা 'रास हरिहर सरस वसत तक कट डातन है ।
एवं तया तथ्य उपदक्श रसायन रास के टीजाकार न रास वा राग या
गीता की भाति गाया जात बावा वह र भी बताया है। जिससे स्पष्ट हा जाता
है कि प्राशत भाषा में रचा गई चचरी ओर रासक सज्ञक प्रवय प्रयाप्त सरन
हाते थे और व दश्य भाषा मे अनक राामगायजा स्तय । टोकाकारन'
তল হন छा का हाना भा बताया टै 1५ रास गइ कं लभेणा का विस्तृत
विवचन वाग्भटट न और स्पष्टतास त्रिया दै ।२ जिसके श्रनुमार ये परिणाम
निवात जा सकत ই _-
१-रासक्र समृणा रचना थौ 1
२-इसम अनेक नतिकाए हाती थो।
१-मण्टलेन च॑ यतस्त्राणा नृत्त हल्नोजझ्क त तसे
नेता तन भवटका गाप स्तराणा यथा हरि।
>-चर्चरी रासकः प्रस्थ प्रवाथ प्राइव बिल,
वृत्ति प्रवृत्ति नाथतत प्राय का5 अपि विचतण ।
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४- कचिदुस्वर्दा त गायाना ब्राडारासक सत्यपि
प्रत्र पदिका वय मात्रा पाप पादा
श्रयमनेषु रागेषु गायते মারনাশিল।
গন नर्गका याज्य चिव तान नर्या वनम्
भराचतु पि युगनौदामव मसु-एाढन वाममन्ट, कायानुनायन प् १८६०।
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