उस पार से | Oos Par Se

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Oos Par Se by महेश जायसवाल - Mahesh Jaysval

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ को मीड़ में है ढू रही थी । बड़ी देर बाद कहीं जाकर यात्रियों का दल धीरे-धीरे सीढ़ियों पर उततरता नजर आया। जमीन पर दोक हैंड और खुम्बन आलिगन का दौर सल रहा था । বায! सभी भारतीय यात्री एक साथ थे। दो या तीन के पीछे में था और बाका मर पीछे थे दष्टि भटक कर सामने गयी तो देखा एक सज्जन ने अपनी परिचित महिला से से उत्साह और झठके से हाथ मिलाया किः वचारी पिनाक सान शरीर झकझोर उठा । स्वागत में यह गरमा*- हट देखकर मृत पकः मजाक सुझा । नीच उतरते ही सूटकेस जमीन पर रख पीछे. की आर घूम पड़ा और बड़ तेवाक से हाथ मिलाकर दोस्तों का स्वागत करने लगा । मजाक सब्ल साबित हुआ । आस-पास खड़े तमाम लोग पुलिस के अधिकारी লক্ষন देश्य को देखकर कहकहा लगा उठे। सबसे पीछे थे सानी जी अपने बच्च के साथ । मेरे हाथ बढ़ाने के पहले ही उन्होंने मुझे फुर्ती मे बाहों में लबार मरा माधा खुम लिया চা ' वरो ग्लेड हू सी মাত বার লুমশ লিক बड़ी खुशी हुई, मेरे সন) 1 कहकर बड़े सतह से मेरे बालों को सहला दिया। मेरे तो होश फास्ता 1 হাম । उपर भीड़ ते जा टड़ाबा मारा कि सहानीजी का छोटा बच्चा तक तालियाँ पीठकर हसन लगा । सहानी जी छूक़के साबित हुए | भेरा सुर्ख मु हू देखवार बीजि-- इसमे उतना गम ने की क्या बाल है | मेरे बाल पक रहे हैं। पिता-पुूत्र का जमिनय ही अधिक स्वाभाविक था। दित चढ़ आया था । बुहरा भी धीरे-धीरे फट रहा था। ठंड वेसी ही थी ডিএ সমহা ধম রা जाने के कारण हमारा उत्साह बढ़ गया था । मुखर्जी और प्रा साथ हम्वगंसक का था। अताब हम दोनों ने तय दिया कि दित मर पमो घूम और रास की आखिरी गाही से हम्लेग के लिए रबाना हों। सामान स्न म तन्वा और হাতত গমন निकल पडे | जनाओा में विशेष कुछ देखने लायक ने होने के कारण हम प्राय: सड़कों और गलियों में निरह श्य घूमते रहे । अधि विल स्थान प चिषये धूमेन का अपना पकर महुत्व है । आनन्द भी | कि पाँचवें मंजिल की खिड़की पर एक गृहिणी नीये सडक पर खड़े फल बाले मे फल खरीद रही है। महिला ने खिड़की में डोरी में बंधी एक टॉकरी नीचे गिरा दो । उसमें एक कागज था जिस पर +) মিহি मिलता है । !क गली में दे ॥ 3.




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