ग्राम संस्था | Gram Sanstha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about शंकर राव जोशी - Shankar Rav Joshi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'অহ্থিন্তা परिच्छेद । ११
इस श्लोकका मतलब यह है कि जितने ज़्यादा चूल्दे
गे उतनी द अधिक वैश्य देवादि क्रियाएं होंगी और पृष्प
बढ़ेगा अतः भाइयों को जुदा ही रना चाहिए ।
मनुविदित स्मृति ओर उसके टीकाकारों के निबंध ग्रथ
पूर्ण से दीखते हैं किन्तु उनमें बहुत से कायदें। का समावेश
नहीं किया गया है ओर न उन कायदों का लोगों पर कुछ
अमल ही है । प्राच्य देशोंके लोग विशेषतः स्थानिक रूढ़ियों
काही अनुकरण करते आए दै । किन्तु अब अंगरेजी शिक्षा
के कारण धीरे धीरे अंगर्ज! कायदों का ज़ोर बढ़ता जा रहा
है | अंगरेजी पढ़ेलिखे ओर पश्चिमी सभ्यता के पर्के उपासका
'पर ही अंगरेजी कायदों का अधिक प्रभाव पड़ा है । अंगरेजी
:ढंगकी अदालतों के स्थापित हो जाने से स्मृतियां का प्रमाव
कम हो गया है। तथापि अबभी स्मृतियों का प्रमाव भारतीय
इदर्यो पर नजर अता है ।
पश्चा शिक्षाक प्रभाव के कारण भारतीय जनता पाश्चात्य
विचारों को ग्रहण करती जा रही ই | हम दावेके साथ कह
सकते हैं कि अंगरेजो के साहचर्यं से भारत वासिर्याकी मान-
सिक उन्नति होने के बदल अवनति होती जा रही दै । का
जाता है कि मनुस्सृति में सब हिन्दू धर्म विधिका संग्रह किया
गया है किन्तु व्यवद्वार में स्मृति-निबंध-अंथों का ही आसरा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...