ज्योति प्रसाद | Jyoti Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४ ) परिस्थिति (0ए०४४€ा#8 ) के ज्ञान के बिना चरित्र नायक के गुणों या दुगगुणों का तुलनात्मक पता नहीं लग सकता। जीवन चरिश्रभे चरित्र नायक के जीवन से सम्बन्ध रखने वाली समस्याओं का 'हल होना चाहिये। वर्णनात्मक जीवन चरित्र से आालोचनात्मक जीवन चरित्र अच्छा माना जाता है । जीवन चरित्र में सचाई कितनी होनी चाहिए इसके बारे में फ्रान्स के प्रसिद्ध विचारक तथा लेखक बोलटेयर ( ए०1॥७॥ ) का यह वाक्य याद एखना ্বারিহ।'ড6 ০9 00208106180100, (0 6119 11100) 08 0119 0690. 19 079 00010 01১15? अर्थात जीवित आदमियों का हमें आदर ओर लिह्दाज़ करना चाहिये परन्तु भृत आदम के लिए मे सच्चाई से काम तेना चाहिये। पर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सचाई का आशय नगा पन नहीं है । जीवन चरितो से मी अधिक लाभदायक आत्मचरित्र (१५०७०790) होता है । परन्तु अरात्मचरित्र का लिखना कठिन है' और निरले ही श्रादमी आत्म चरित्र सफल रूप से लिख सकते हैं । बढ़ भार्दामियों के लिखे पत्र तथा उनके पास आए हुये पत्र भी हमें उनके बारे में बहुत सी बात बता सकते हैं.। इस लिये पन्नों के संग्रह भी प्रकाशित द्ोने चाहिये। व्यक्तिगत डायरियां भी कम उपयोगी नहीं होतीं। एक लेखक का तो यह कथन था कि वह किसी आदमी का चरित्र ( 00४8९0९1 ) उसकी आमद और खर्च की बद्दी को देखकर बता सकता है ।




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