कर्नल रंजीत : चुने हुए चार उपन्यास | Karnal Ranjeet Singh : Chune Hue Char Upanyas

Karnal Ranjeet Singh Ji by karnal ranjeetsingh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हूं, जो तुम्हारा पूरा नाम लेकर तुम्हारा भाग्य बदल रहा हूं ! अच्छा यह वताओ, ना इस भर के सब आदमी सुवह नो वजे इस घर में मौजूद थे ? ” “नहीं साहव ! दो आदमी. नहीं थे । मेम साहब पौने नौ बजे कुछ . सामान खरीदने चली गई थीं । उनके पीछे-पी छे कुछ मिनट के वाद राजेश वाव भी धर से ' नाहर निकल 'गए थे । साहब कितने बजे अपने कमरे से वाहर आए थे ? ” “नौ वजने में पांच मिनट पर” “क्या तुमने डाक्टर बनर्जी को जाकर -यह दी थी कि दीवान साहब कर था रहे हैं ? ” “नहीं, हुजूर ! दीवाने साहव ने मना कर दिया था - कि मैं डाक्टर साहन ले लाकर कुछ न कहूं। वे अजायवंघर का एक चवकर लगाकर ऊपर जाना चाहते थे ।” “उस समय.डाक्टर साहव कहां थे ? ” “अपने पढ़ने के कमरे में ।” ही “और सिंद्दीकू कहां था ?” “अपने कमरे में लेटा हुआ था । उसकी तवियत खराब थी “प्तुम दीवान साहब को भजायबघर में छोड़कर कहां गए थे ? ” में ।”' : “कया तुमने मिंस्टर डिवसन को साढ़े दस वजे अजायवघर में प्रवेश करते ९ व यो उनके परों: की भाहट सुनी थी या फिर उनकी आवाज तुम्हारे कान में ' जप “सरकार, मैं-इन वातों पर ध्यान नहीं दे सका, क्योंकि ट्रांजिस्टर पर मरि पुखराज की गाई हुई गजल सुन रहा था।” . ः प्रतिशोध की दंवी न्स्पेनटर धमंवीर ने नेतृत्व किया । सेजर, सोनिया और डिक्सून भजायनघर में «दाखिल हुए। वहां एक अनोखा वातावरण था। ऐसा मालूम होता” था जेसे 'मनृष्य भाज से तीन हर्जार वर्ष पहुंले के संसार में घूम रहा हो । जिस कमरे में दीवान सुरेन्द्रनाथ की लाश पड़ी थी, उसे अफ्रीकी आदिम जातियों की भयानक देवी- देवताओं की काली-काली मूततियों ने अत्यन्त रहस्यपूर्ण बना दिया था । डिक्सन के - . बयान के अनुसार कमरे में सचमुच प्रकाश कम था । वड़े वल्व नहीं जल रहे थे । केवल एक छोटा-सा वत्व जल रहा था। कमरे की पिछली दीवार के साथ एक अलमारी -: खड़ी थी । उस अलसारी के सामने दीवान साहव चित लेटे हुए थे। पिछली दीवार में '. एक खिड़की थी जिस पर पर्दा. पड़ा हुआ था । मेजर ने पर्दा उठा दिया 1 कमरे में ' प्रकाश फल गया । उस दीवार के साथ दायीं ओर लगभग आठ फुट ऊंचा बुत खड़ा था । मेजर ने दीवारों पर्‌ नजर डाली । जगह-जगह छोटे-छोटे बुत टंगे. थे जो शिल्‍्प- . कला के शानदार नमूने थे । | ' क्या ये बुत आप तैयार करते हैं ? ” मेजर ने डिक्सन से पूछा... “नहीं, मैं अकेला नहीं करता । लगभग दस देशों के साठ शिल्पकार हैं । वर्क शाप सन्त नगर में है । यह'शो-रूम है :. “उन शिल्पकारों में तो दीवान साहव का कोई शत्रु नहीं था ? वे सब दीवान साहव के भक्त थे। असल में . दीवान सात. कला के बड़ थे । ने दर कारीगर की योग्यता से अच्छी तरह परिचित हे... प्रा [: हम




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