कर्नल रंजीत : चुने हुए चार उपन्यास | Karnal Ranjeet Singh : Chune Hue Char Upanyas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17.61 MB
कुल पष्ठ :
303
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हूं, जो तुम्हारा पूरा नाम लेकर तुम्हारा भाग्य बदल रहा हूं ! अच्छा यह वताओ, ना
इस भर के सब आदमी सुवह नो वजे इस घर में मौजूद थे ? ”
“नहीं साहव ! दो आदमी. नहीं थे । मेम साहब पौने नौ बजे कुछ . सामान
खरीदने चली गई थीं । उनके पीछे-पी छे कुछ मिनट के वाद राजेश वाव भी धर से
' नाहर निकल 'गए थे ।
साहब कितने बजे अपने कमरे से वाहर आए थे ? ”
“नौ वजने में पांच मिनट पर”
“क्या तुमने डाक्टर बनर्जी को जाकर -यह दी थी कि दीवान साहब
कर था रहे हैं ? ”
“नहीं, हुजूर ! दीवाने साहव ने मना कर दिया था - कि मैं डाक्टर साहन ले
लाकर कुछ न कहूं। वे अजायवंघर का एक चवकर लगाकर ऊपर जाना चाहते थे ।”
“उस समय.डाक्टर साहव कहां थे ? ”
“अपने पढ़ने के कमरे में ।” ही
“और सिंद्दीकू कहां था ?”
“अपने कमरे में लेटा हुआ था । उसकी तवियत खराब थी
“प्तुम दीवान साहब को भजायबघर में छोड़कर कहां गए थे ? ”
में ।”'
: “कया तुमने मिंस्टर डिवसन को साढ़े दस वजे अजायवघर में प्रवेश करते ९
व यो उनके परों: की भाहट सुनी थी या फिर उनकी आवाज तुम्हारे कान में '
जप
“सरकार, मैं-इन वातों पर ध्यान नहीं दे सका, क्योंकि ट्रांजिस्टर पर मरि
पुखराज की गाई हुई गजल सुन रहा था।” .
ः प्रतिशोध की दंवी
न्स्पेनटर धमंवीर ने नेतृत्व किया । सेजर, सोनिया और डिक्सून भजायनघर
में «दाखिल हुए। वहां एक अनोखा वातावरण था। ऐसा मालूम होता” था
जेसे 'मनृष्य भाज से तीन हर्जार वर्ष पहुंले के संसार में घूम रहा हो । जिस कमरे में
दीवान सुरेन्द्रनाथ की लाश पड़ी थी, उसे अफ्रीकी आदिम जातियों की भयानक देवी-
देवताओं की काली-काली मूततियों ने अत्यन्त रहस्यपूर्ण बना दिया था । डिक्सन के -
. बयान के अनुसार कमरे में सचमुच प्रकाश कम था । वड़े वल्व नहीं जल रहे थे । केवल
एक छोटा-सा वत्व जल रहा था। कमरे की पिछली दीवार के साथ एक अलमारी -:
खड़ी थी । उस अलसारी के सामने दीवान साहव चित लेटे हुए थे। पिछली दीवार में
'. एक खिड़की थी जिस पर पर्दा. पड़ा हुआ था । मेजर ने पर्दा उठा दिया 1 कमरे में
' प्रकाश फल गया । उस दीवार के साथ दायीं ओर लगभग आठ फुट ऊंचा बुत खड़ा
था । मेजर ने दीवारों पर् नजर डाली । जगह-जगह छोटे-छोटे बुत टंगे. थे जो शिल््प-
. कला के शानदार नमूने थे । |
' क्या ये बुत आप तैयार करते हैं ? ” मेजर ने डिक्सन से पूछा...
“नहीं, मैं अकेला नहीं करता । लगभग दस देशों के साठ शिल्पकार हैं । वर्क
शाप सन्त नगर में है । यह'शो-रूम है
:. “उन शिल्पकारों में तो दीवान साहव का कोई शत्रु नहीं था ?
वे सब दीवान साहव के भक्त थे। असल में . दीवान सात. कला के बड़
थे । ने दर कारीगर की योग्यता से अच्छी तरह परिचित हे... प्रा [:
हम
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