श्री पाश्र्वृपुराणभाषाछंदबंद्ध Ac.1269 | Shri Parsvapuran Bhasha By Bhudhr Das Ac.1269

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shri Parsvapuran Bhasha By Bhudhr Das Ac.1269 by भूधरदास जी - bhudhardas ji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भूधरदास जी - bhudhardas ji

Add Infomation Aboutbhudhardas ji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
# भूमिका # ७४८25 ३ 0..२7००------ ॥ २८ मात्रा हरिगीत छंद शुभ देशकाशी नगर बाना, रस विंपे जितरबर उगे | प्रति अश्वसनरू मात्‌ बापा, देवि उर पेकज जने}! धरयाग लवर बयमांहि सह, उपस्े शम्बर मद दरों | पुनिवरी शिवम प्राचवप्रप पप, वृद्ध को निर्मल करा) १ | विद्लनन चाणाम्वतज ग्न अपनासद विप्णानह आत्मज अग्रवाल मायल गात्र | जिनमत दिगम्बर श्यस्ताय परक दलपत नगम लनिवा्शी हाल अपील नवीस दिली दृद्रपम्यं क्फ दूग्याजा धप रनाय प्रपाक सवाप सपनम नि- बदन करता है :ह जब बरी अवस्था अनयान चात व्वङः हूर नव मुका লক্ষন যা निवास पंशिढत महरचन्ददासजी লগুলানা ঘাবন मश्रसदासजी १-यह एक छोटासा लगर अनुमान तरंदहजार मसप्यों का असासत का दिल्‍ली नगर से अंद्राइंस पल बायब्य कोन में बसता ६ मो अ्े।इसों पर अ ग्रवाल जानियों अर ते ते जनप्रादिर शिखा बंद एक चस्यालयम शाभायपरानह। २--पंट्ित महरच-३ दासनो लाला गंप्पदास जा अग्रवाल के त्वघृपृत्र सेस्क्रत हिंदी भाषा के सिवाय फारसा भाषा के भी स्लो बांति ज्ञताई़ें श्री सज़न चित्त वल्लभ काव्य माने मल्लसन जन आचावय रचित को अस्बय पदच्छद सहित संस्कृत आर हिंदी भाषा टीका लिखकर प्रति संस्कृत श्लाक हिंदी मत्तग यन्द नाप मति लालितं दद बनाये-ग्नलिस्तां-पंदनापा फारसी पृम्नक विदान नीतिज्ञ शख्ब सादी शीर।जी राचित जो नीतमागे में बड़ी प्रशंसनीय प्रसिद्ध पुस्तक हैं भाषा में पृप्पावन-शिक्षापत्री नापकर बड़ा उत्तम अनुवाद (तमप्रा) किया जो देखने योग्य है पंडित मधरादासनी आपके बड़े श्राता जन पंडितों में खेडन |पेदन विषय बड़े विख्यात बाद विजई पंडित थे कार्तिक मास सम्बन उवास জী! चवालीस विक्राप मे स्व वाशी हुये ॥ পপ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now