हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास | Hindii Saahity Kaa Sankshipt Itihaas

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Hindii Saahity Kaa Sankshipt Itihaas by श्यामसुन्दर दास - Shyamsundar Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २ ) वीरगाथा-काल वह युग घोर राजनीतिक हलचल तथा अशांति का था । भारत के सिंध आदि पशि्चिमीय प्रदेशों पर अरबों के श्राक्रमण तो बहुत पहले से प्रारंभ हो चुके थे श्रार एक विस्तृत भू-भाग पर उनका आधिपत्य भी बहुत कुछ स्थायी रीति से प्रतिष्ठित हा चुका था, परंतु पोछ्ले समस्त उत्तरापथ विद्देशियों स्रे पदाक्रांत हे।ने लगा श्रौर मुसलमानें की विजय-वैज्यंती लाहार, देहली, मुलतान तथा अजमेर आदि में फहराने लगी। महमूद गजनवी के आ्राक्रमणों का यही युग था श्रार शहाबुद्दोन मुहम्मद गोरी ने इसी काल मं भारव-विजय के लिये प्रयत्न किए थे। पहले तो इस देश पर विदेशियो कं आक्रमण, स्थायी श्रधिक्रार प्राप्न करके शासन जमाने फे उदेश्य से नहा, केवल यहां की अतुल्ल संपत्ति लूट ले जाने की इच्छा से हुआ करते थे। मह- मूद गजनवी ने इसी आशय से सन्रह षार चदे की थी জী वह देश के विभिन्न स्थानों से विपुत्ध संपत्ति ले गया था। परंतु कुछ समय के उपरांत झाक्रमणकारियों फे लक्ष्य में परि- वत्तन हुआ, वे कुछ ते! धर्मप्रचार की इच्छा से घौर कुछ यहाँ की सुख-समद्धिशाली भ्रवस्था तथा विपुल धन-धानन्‍्य से आक्ृष्ट होकर इस देश पर अधिकार करने की धुन में लगे । यहाँ के राजपूतां ने उनके साथ लोहा लिया झ्लोर वे उनके प्रयत्नों




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