तुलसी | Tulasi

Tulasi by रामबहोरी शुक्ल - Rambahori Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जोवन-चरित आविभाव-काल भारतवप में विदेशी मुसलमानों का प्रमुख जम चुका था। समूचे देश पर उनकी शासन-पताका फहराती थी । उस पताका के नीचे देश के सभी क्षेत्रों के हिन्दू राजाओं ने घुटने टेक दिये थे। बोच-बीच में जहाँ-तहाँ कुछ स्वाभिमानी वीर सिर उठाते, परन्तु अलग अलग, एक साथ मिलकर नहीं। इससे वे कर-धर तो कुछ न पाते, उलटे मुंह की खाते ओर कुछ दिनों के लिए अपने जैसे दूसरे स्वतंत्रचेताओं के लिए भी ऐसे ही प्रयत्नों का मार्ग रोक जाते। मुसलमान भारत पर अपना राज्य स्थापित करके हो चुप नहीं बेठे । उन्होंने इस्लाम का सिक्का जमाना भी अपना मुख्य उद्द श्य बनाया । इस देश के निवासियों को इस्ज्ञाम घम का अनुयायी बनाना भी लक्ष्य स्थिर किया। यह काम उन्होंने दो प्रकार से किया। राज-शक्ति उनके हाथ में थी । उसके द्वारा उन्होंने यहाँ के लोगों को इस्लाम का अनुयायी बनने के लिए बाध्य किया । जिसने ऐसा न किया उसे तुश्न्त तलवार कं घाट उतार दिया । इस प्रकार आतङ्क जमाकर उन्होने प्राणों के मोह में फंसे कायरों को अपने पूवजों का धम होकर अपनी बढ़ती हुई शक्ति का सहायक ओर उनके ही रक्त-मांस के बने




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