ये टूटते अंधेरे | Ye Tutate Andhere
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
81
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१०
वही सरज परवान चदढ़ते हैं
घोर कुहासे में श्रावृत हो जाने पर भी
जो भ्रनासक्त रहता है
अंधेरे की सलाखें
वहाँ छोटी पड़ जाती हैं, या
धीरे-धीरे गलती हुईं
स्वय को ही खा जाती हैं ;
हर आरोपित अहं के ट्टने पर
ऐसा ही होता है
संत्रास--
कचोटता तो है, पर
हर जुभारू मन से हार जाता है ।
प्रताडित,
जख्मों को जो
कल के लिए सी लेता है
चुपचाप--
सारे ज़हर को पी
मात्र हँस देता है
उसकी निर्दोष उपेक्षा
कहीं अधिक मर्मान्तक होती है
खून मुह लगे भेडिये में
कसमसाहट बुनती है ।
मौत के साये में पलकर ही
अमर गीत गाए जाते हैं
वही सूरज परवान चढ़ते हैं
जो काली निशा में
किरणों को समेट पलते है,
रोज
सुबह के लिए
अंधेरा लपेट चलते हैं ।
ये टूटते अंधेरे
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