महात्मा गाँधी | Mahatma Gandhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
70
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १५ )
दो महीना पूरा न होने पाया था कि गाँधी जी
जोहांसवर्ग के जेल में भेज दिये गये। गाँधी जी केदी
की पोशाक में पेदल जेल दे आये गये । रास्ते में जो उन्हें
देखता था, दुखी होकर रोने लगता था । जोहांसबग में
एक घटना ओर हुईं | एक दिन गाँधी जी पाखाना वेठे ।
इतने में एक ह्दा कड्ठा विकराल पुरुष आया ओर
गालियाँ दन लगा | गाँधी ने कह--ठहर जाओ, अभी
उठता हूँ | उसने गुस्से में गाँधी जी को उठाकर बाहर
फंक दिया । गाँधी जी स्यं लिखते है- पे घपरराया
नहीं, हँस कर चलता बना | यह सब्र जो केदी वहाँ देख
रहे थे, उनकी आँखों पे आँख आरा गये ।””
गाँधीजी जब जेल से छूट कर आये तो यह तय
किया कि श्र की बार फिर एक डेपूटेशन विलायत ले
जाया जाय । ओर फिर यहाँ की दुख कथा वहाँ सुनाई
जाय । गाँधो जी अपने साथियों के साथ विलायत पहुँच
गये । वहाँ गाँधी जी ने खूब आन्दोलन क्रिया ओर काफो
कामयाबी हुई | गाँधी जी क्ले मित्र मिस्टर पोलक इन
दिनों हिन्दुस्तान भा गये थे | उन्होंने भी घूम घाम कर
अफ्रीका में हाने वाले भत्याचारों को लोगों को सुनाया ।
सन् १६१२ ३० में मिस्टर गोखले ने बड़े लाट की को सिल
में बड़ा जोरदार व्याख्यान दिया ओर झफ्रीका मे होन
वाले अत्याचारों का वर्णन किया । उन दिनों हिन्दुस्तान में
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