मुहूर्त -दर्पण | Muhurt Darpan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है रे ॥ ह हु्तेदर्पणा हू सु । मन्दिर-निर्माण का मुहत्ते कालनागमावर्ज्य मानयेत्‌ भूपसीमघरपार्श्वकान्मुदा । ज्योतिरर्थपरिपूर्णकारुकैः संनियोज्य खनिमुत्त मां क्रियात्‌।। १४ २॥। --जयसेन-प्रतिष्ठापाठ बथ--राजा की आज्ञा प्राप्त कर समीपवर्ती श्वामन्त्रित साधर्मी भाइयों को सम्मानित कर एवं ब्योतिषी श्मौर चतुर कारीगरों को बुलाकर नीव को खाद कर भरे। परन्तु इस नीव में राहु के चक्रानुसार राहु का मुख-माग वज्ये है । राहु के मुख कई ज्ञान मीनमेपद्पराश्यवस्थिते ग्रीष्मभासि शिव दिग्यमाननम्‌ । युग्मकेसरिकुलीरगे 5निले कन्यकालितुलगे 5श्रये भवेत्‌ ॥१४३।। --जयसेन-प्रतिष्ठापाद झथे--यदि सूये मीन मेष वृष इन राशियों पर हो उस समय राहु का मुख ईशान कोण में सूये मिथुन सिंद कक॑ इन राशियों पर हो उस समय रा का सुख बायुकोण में सूये कन्या वृश्चिक तुला इन राशियों पर दो उस समय राहु का मुख नेऋत्य कोण में .्औौर.सूये




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