प्राचीन पंडित और कवि | Prachin Pandit Aur Kavi

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Prachin Pandit Aur Kavi by श्री दुलारेलाल भार्गव - Shree Dularelal Bhargav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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`. मदावीरचरित से जो पंक्वियाँ हमने उद्धृत को हैं वही . पंक्षियाँ, कुछ परिवर्तित रुप में, मालतीमाधय में भी हैं।...... ..... यहाँ उनका आरंभ इस प्रकार छुआ है-“अस्ति दक्षिणा- .... पथे विद्र्मेषु पद्मनगरं नाम नगरम्‌ ”-जिससे सिद्ध होता... .. है कि दक्षिणापथ के विद्र्भ-देश में पद्मपुर अथवा पद्मनगर « हा था । विदृ्भ का आधुनिक नाम बरार है, परंतु बरास-प्रांत _ म पदमपुर का कदं पता नदं । यह नगर इस समय असितित्व- = * हीन हो गया जान पड़ता है । मालतीमाधव के रीकाकार ` जगद्धर ने पद्मपुर और पद्मावती में अभेद बतलाया है, यह... ठीक नहीं । पद्मावती, मालतीमाघच में वर्णन किए गए मालती और माधव के विवाहादि का घटना-स्यलदहै। डॉक्टर भांडारकर का मत है कि मवभूति का जन्मस्थान ` बरारमे कीं चद्‌ के पास रहा दोगा । वहां छष्ण-यज्जबद की तैत्तिरीय-शाखावाले अनेक महाराष्ट्रद्राह्मण अब तक रहते... हैं। उनकी देशस्थ संज्ञा है और उनका सूच आपस्तंबहै। , ... चाँदा के दक्षिण और दक्षिण-पूच उसी वेद ओर उसी सूत्रवाले ` | = . अनेक तेलंग ब्राह्मण भौ रते है । मवभूति नै श्रपने नाटक्न मै गोद्‌ादरीका जो वर्णन शिया ই उससे जान पड़तादहैकि षद उस नदी से विशेष परिचित था। पद्मयुर शायद मोदा- রঃ बरी के तट पर ही अथवा कट्दीं उसके पास ही रहा होगा। আাভবীদাগন জী অভনা্থ पद्यावती-नगरी নই ই. ` कविने इस नगरी के चिहों का তন্ন ঘলা হ্যা ই। |




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