गगनान्चल | Gagnanchal

Book Image : गगनान्चल  - Gagnanchal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लोक साहित्य, लोक संस्कृति, लोक कला 15 फ्मकोती बा #प्छ विजन जीवन के प्रतीक रह हैं । यह एक आश्चर्यजनक संयोग की बात है कि इन चित्रों का स्वरूप प्रागैतिहासिक काल के चित्रों से अत्यधिक मिलता है, शायद इसका कारण यह हो कि जिस तरह की रेखाओं से उन आकृतियों का निर्माण हुआ है उसी तरह की सरल सीधी रेखाओं से इन आकृतियों का भी निर्माण हुआ है। जैसे इनमें मनुष्य की आकृति बनाने के लिये सबसे पहले एक गुणित का चिन्ह बनाया जाता है। और उसे ऊपर और नीचे बंट कर देन से आदमी का धड़ बन जाता है। उसके नीचे दा खड़ी लकीर खींच देन से पांव बन जाते हैं ओर उसके नीचे टा छोरी छोरी आडी लकीर खींच देने से पांव के पंज बन जाते हैं। धड़ के ऊपरी हिस्से से दो खड़ी लकीरों को पहिले नीचे लाकर फिर कुछ ऊपर की ओर बढ़ा देने से दो हाथ बन जाते हैं तथा उसके छोर पर दो छाटी-छोटी आड़ी लकीरें खींच देने से




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