पुण्य जीवन ज्योति | Punay Jeevan Jyoti

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Punay Jeevan Jyoti by श्रीमती सज्जन श्री जी - Srimati Sajjan Sri Ji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीमती सज्जन श्री जी - Srimati Sajjan Sri Ji

Add Infomation AboutSrimati Sajjan Sri Ji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(८३) के साय २ आपको स्रावारण रिक्ता भी,मिलती री । वचपनसे आपको पुस्तके पटने का वहत शौक था जो कि आज तकभी वैसा हो बना हुआ है परिवार के सभी सदस्य रुढिवादिता से ग्रसित होने के कारण आपका विवाह भी जल्दी हीं होना स्वाभाविक था ) १२ वर्ष की अवस्था मे ही आपका विवाह जयपुर के एक धनाह्य परिवार से हुआ। परन्तु विवाह के पश्चात्‌ आपके विचारों मे एक विशेष परिवरतंन हुआ। विव्राह के कुछ समय वाद ही आपको कोटा जाना पड़ा जहां कि आपको अपने निकट सस्वन्धी के यहां एक लम्बे समय तक रहना पढ़ा। जहां आप रही थीं उनका धर्म मन्द्रि का था | इस कारण से आपके विचारों ने भी मोड़ लिया | अगर इसे मोढ़ की वजाय विचारों में क्रान्ति कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नदीं होगी । आप इस धर्म के प्रति इतनी आकपित हुईं! कि आपने इसको अपना भी लिया। कोटा से लौटने के पश्चात्‌ आपने अपने पिताजी के घर पर अनेक शास्त्रों का अध्ययन-किया | इस छोटी सी अवस्था में ही आपने अनेक शास्त्रों को पढ डाला इस प्रकार के व्यस्त अध्ययन ने आपको धासिक विचारों की ओर श्रग्मसर क्रिया। धार्मिक ग्रव्नति की वहुलता के साथ ही साथ ससुराल की परिस्थितियों ने आपके विचारों मे “दीक्षा की भावना? का विकास किया यद्यपि मानव बहुत कुछ सोचता है परन्तु सोचे हुए कार्या में सफलता प्राप्त कर लेना एक मुश्किल काये है । आप मे भी दीक्षा की चेतना तो आ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now