महात्मा गाँधी का समाजवाद | Mahatma Gandhi Ka Samajvad
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
जगपति चतुर्वेदी - Jagapathi Chaturvedi,
भोगराजू पट्टाभि सीतारामय्या – Bhogaraju Pattabhi Sitaramayya
भोगराजू पट्टाभि सीतारामय्या – Bhogaraju Pattabhi Sitaramayya
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
147
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
जगपति चतुर्वेदी - Jagapathi Chaturvedi
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भोगराजू पट्टाभि सीतारामय्या – Bhogaraju Pattabhi Sitaramayya
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राष्ट्रीया और समाज की रचना ८७
अर अन्य देशों में तैयार होती रही हैं |
स्वावलंदी अथनीति
पूर्वी देशों मे ज्यो ही राष्ट्रीय चेतना जाग्रत हुई त्यों ही उन्होंने
इन विलायती चीज़ों के आयात के खतरे को महसूस करना प्रारम्भ
किया, और भारतवर्ष के पिछले अहिंसात्मक आन्दोलन ने आयात
का खतरा ही नहीं बतलाया बल्कि आयात रोकने का लाभ भी दिखा
दिया | जब निरस््र भारतीयों ने एक बार संसार के प्रबलतम साम्राज्य
को झुका दिया और हिंसा के विपक्ष अहिसा, असत्य के विपक्ष सत्य
ओर अन्याय के विपक्ष न्याय की विजय दिखा दी तो इस पाठ को
भारत के पड़ोसी राष्ट्र ईरान, अफगानिस्तान, मेसोपोटामिया, अरब
ओर मिख ने भी सीखा। उन्होने सी विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
आरम्भ कर दिया । नतीजा क्या होगा ?
यदि बहिष्कार सफल हुआ तो पाश्चात्य देशो को अ्रपना तैयार
साल बेचने के लिए पूर्व मे मंडी ही नहीं मिलेगी और वे अपने देशों
मे ही एक दूसरे से होड़ कर सस्ती वेचने में समर्थ नही हो सकते ।
उदाहर्णाथं डीज लालटेन लगभसग २ या ३ करोड़ प्रति षं मारत
मे आती है। ये सब अमेरिका के संयुक्त देश वा जर्मनी में तैयार
होती हैं | यदि हम इनका मेंगाना बंद कर दे तो वे इन्हे बनाना बंद
कर देंगे क्योकि योरप का प्राय: प्रत्येक देश ऐसी चीजे अपने लिये
तैयार करता है। इसलिए उन्हे इनका उत्पादन इतनी सीमित करना
पड़ेगा जितने की उनके देश में ही खपत हो | विदेशों के निर्यात के
लिए उत्पादन रोकना पड़ेगा । जब उनके पास निर्यात करने के लिये
कोई चीज नहीं रहेगी जिससे वे अपने देश मे आयात की कीमत
चुका सके तो उन्हें आत्मनिर्भरता का आश्रय लेना पड़ेगा |
वास्तव से यही स्वाभाविक परिणाम होगा क्योंकि जहा विदेशी
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