बापू - स्मरण | Bapu - Smaran

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Bapu - Smaran by आचार्य कृपालानी - Aacharya Kripalaniरामकृष्ण बजाज - Ramkrishn Bajaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बापु-स्मरण व 9 , ५ ध 58) ८ २६-६-२४; अहसदाकमद्‌^ रिम) स्टेशन से आश्रम गये । बापू से मिलकर चि० शान्ति को वल्लभभाई के घर आये । भोजन, राजगोपालाचारीजी से बाते । फिर आश्रम गये---वकिंग कमेटी के लिए । वकिंग कमेटी का काम २ बजे से ६-३० बजे तक होता रहा । महात्माजी ने अपने चार प्रस्ताव ° समञ्ञाकर बतलाये । खुलासेवार खूब चर्चा हुई । वे चारो प्रस्ताव वकिग कमेटी नं थोड फर्क से स्वीकार किये । शव प्रस्ताव २९-६-२४ के हिन्दी 'नवजीवन' में निम्न प्रकार प्रकाशित উপ १. इस बात पर ध्यान रखते हुए कि स्वराज्य कौ स्थापना के लिए चरखा ओर हाथकती-खादी के आवश्यक माने जाने पर भी ओर महासभा कै द्वारा सविनय भग के लिए पेश-बदी के तौर पर उनकी स्वीकृति होते हए भी देश की तमाम महासभा-सस्थाओ फे सदस्यो नें चरखा कातने पर अब तक ध्यान नहीं दिया है, यह महासमिति निश्चय करती है कि तमाम प्रति- निधिक सहासभा-संस्थाओ के सदस्यो को चाहिए कि वे, बीमारी अथवा लगातार सफर को हालत को छोडकर, रोज कम-से-कम आघ घण्टा चरखा काते ओर कम-से-कम १० नंबर का १० तोला एक-सा भौर पक्का सुत अखिल भारतीय खादी-मण्डल के मंत्री के पास भेज दे, जोकि हर महीने कौ १५ ता० तक उन्हे भिर जाय पहली किर्त १५ अगस्त, १९२४ तक उनके पास पहुच जाय और उसके बाद हर महीने बराबर भेजते रहे । जो सदस्य नियत तारीख तक नियत तादाद से सृत न भेजेगा, उसका पद खाली समझा जायगा और मसाम्‌ल के मुआफिक उसकी जगह पर दूसरे सदस्य की तजवीज की जायगी तथा पद-च्युत शख्स अगले साधारण चुनाव तक फिर से चुने जाने का पान्न न समझा जायगा। २. चूंकि इस बात की शिकायते पहुची हे कि प्रान्तीय मत्री तथा महासभा के दूसरे पदाधिकारी उन हुक्मो कौ तामीर नहीं करते हे, जोकि महासभा के वाकायदा अफसरो को तरफ से उनके नाम समय-समय पर भेजे जाते हे, इसलिए सहाससिति निश्चय करती है कि जो, पदाधिकारी अपने




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