भारत और विश्व | Bhaarat Aur Vishv

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Bhaarat Aur Vishv by राधाकृष्ण - Radhakrishn

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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महात्मा बुद्ध और उनका सन्देश : १ ३ उठती है उसकी मांग पूरी होनी चाहिए। बुद्ध कंवल रास्ता बताते हं, उस पर चलने का कष्ट उठाना हरेक की अपनी जिम्मेदारी है (धम्मपद, २७६) । बुद्ध का गौरव उनक व्यक्तिगत अनुभव पर प्रतिष्ठित हैं । प्रचलित कथा के अनुसार, जब बुद्ध ने एक निर्बल वृद्ध को, एक मृतक पुरुष को, एक बीमार को ओर एक भिक्षु को देखा तव उन्ह देन्य ओर दुःख का, रोग, जरा ओर मृत्यु का ज्ञान हुआ। इससे उन्हें जो आघात पहुँचा उसके फलस्वरूप उन्होंने सारे वभव ओर विलास को त्याग कर सन्यासी का जीवन ग्रहण किया । दुनिया का दुःख देखकर बुद्ध के मन में करुणा उपजी। संसार के मूल में उन्होंने जिस दुःख के दशन किये वह उनके लिए एक समस्या बन गया। उन्होंने समकालीन दश्शनों का अध्ययन किया, उस युग के बड़े-बड़े आचार्यों से परामश किया और कठोर तपस्या ओर चिन्तन करकं तत्त्व कौ खोज की । | बुद्ध वह ह्‌, जिसका नाम सत्य हे (सच्चनाम)। जो सत्‌ हे, वही सत्य हु; जो नद्वर ह्‌, वही असत्‌ हु । जिनक पास देखने के लिए आंख और समझने के लिए बुद्धि हैं, उनके लिए यह दुनिया, जिसमं हम रहते ह, जन्म ओर मरण की, विकास ओौर हास की दुनिया हैँ, जिसमें कोई भी वस्तु स्थिर नहीं रहती और न किसी चीज़ की कभी आवृत्ति ही होती हे । इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं हें। मरणान्तं हि जीवनम्‌। बौद्ध साहित्य में क्षणभंगुरता, परिवर्तनशी लता का कथन भिन्न-भिन्न प्रकार से किया गया हैं। घूमते हुए चक्र को इस परिवतंनशील संसार या सत्ता का प्रतीक माना गया हं। तब, सभी संघातों में छिपे हुए इस विनाश से बचने का उपाय क्या हे ? बुद्ध ने शाइवत जीवन के रहस्य को खोज निकालने का




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