आस्कर वाइल्डकी कहानियाँ | Aaskar Vaaildki Kahaniyaan

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Aaskar Vaaildki Kahaniyaan by डॉ० धर्मवीर - Dr. Dharmveer

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शिशु-देवता १७ को सुने उसे इतने दिन बीत गये थे कि वह उसमें स्वर्गीय संगीत समझ रहा था। उस वक्‍त बर्फ सके गया था, जाप्मान खुल गया था, तूफान सो गया था । और खुले हुए वातायनसे सौरभकी लहरें उसे चूम जाती थी ! भम समज्ञता हुं वसन्त आ गया, जादुगरने कहा और নিলে उर करं बाहर झाँकते छगा ( उसमे एक आइचर्यजनक दृश्य देखा--दीवाल के एक छोटे-से छेदमेंसे वच्चे भीतर घुम आये हैं और पेडकी झाखोंपर बैठ गये हैं । पेड वच्चोका स्वागत करनेमें इतने सुश थे कि वे फूर्लोसे लद गये थे और छहराने छूगे थे ! चिड़ियाँ खुशोसे फुदक-फुदककर गीत गा रही थी और पल घासम-से आँककर हेंस रहे थे । किन्तु फिर भी एक कोनेमे अमी झिशिर था। वहाँ एक बहुत छोटा बच्चा खड था! वह इतता छोटा था कि डाल तक नहीं पहुँच पाता था--अव वह रोता हुआ धूम रहा था | पैड वर्फसे ढेंका था और उप्तपर उत्तरी हवा वह रही थी । “ध्यारे बच्चे चद्र आओ / पेडने बहा और डालें शुक्र दी मगर बढ वच्चा बहुत छोटा था । बह दृश्य देखकर जादूगरका- दिल पिघल गया । “में कितना स्वार्थी था !” उसने सोचा, “यह कारण था कि अभी तक मेरे बागमें वसन्‍्त नही আধা ঘা? में उस बच्चेको पेडपर चदा दंगा, यह्‌ दीवाल तुडवा दूँगा और तदव मेरा उपयन हमेशाके लिए शैश्षवकी क्रीडा-भूमि बव जायगा वह्‌ नीचै उतरा भौर दरवाज्ञा खोलकर वागमें गया ! जब बच्चोने उसे देखा तो वे डरकर भागे और बाग्रम फिर जाडा आ गया । सगर उसे छोटे वच्चेकी धाँसीमें आँसू भरे थे और दद जादूगरका आगमन नहीं देख सका । जादूगर चुपचाप पीछेसे गया और उसने घीरेसे उसे उठाकर पेंडपर विद्या दिया । पेड्में फ़ौरत कंलियाँ फूट निकत्मे और चिडियाँ लौट आई ओर गाने छगी । छोटे वच्चेते अपनी नन्‍ही वाह फ्ैदाकर जादूगरको चूम लिया । दूसरे बच्चोने भी यह देखा और जब उन्होने देखा कि जादूगर




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