भगत सुमेरचंद्र जी वर्णी | Bhagat Sumerchandra Ji Varni

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : भगत सुमेरचंद्र जी वर्णी - Bhagat Sumerchandra Ji Varni

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पत्रालाल साहित्याचार्य - Patralal Sahityacharya

Add Infomation AboutPatralal Sahityacharya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
है ) हे व्यापार मे लगा कर आत्महित का मागे अंगीकृत करनी 1 । यह सब विचार कर आपसे अपने बडे भाई ज्योतिप्रसाद जी से कहा कि भाई साहब । दुकान का काम तो आप सम्हालते हीह और दोनों लड़के आपकी आज्ञा मे है। अब आप मुझे अवकाश दे दें तो मैं निराकुल होकर धर्मसाधन करूँ। ज्योतिप्रसाद जी ने तीसरे विवाह का प्रस्ताव रक्खा परन्तु भगत जी को वह रुचिकर नहीं हुआ। दोनों हाथों से अपने कान पकड़ कर बोले अब तीसरी बार गलती नही करूगा । भगत जी का समय जिनेन्द्रपूजन, स्वाध्याय तथा धर्म की प्रभावना मे विशेष रूप से बीतने लगा। शक्ति के अनुसार अनेक नियमो का पालन करने लगे । वे सदा सत्सग की खोज मे रहते थे कि कोई ऐसे महानुभाव का समागम प्राप्त हो जिससे भेरी विरक्ति का परिणाम वृद्धिज्भत होता रहे । देनंदिनी के पृष्ठों पर उभरी हुई भगत जी की भव्य भावना : भगतं जी जवे कभी अपते मनोभाव दैनदिनी मे अद्धित किया करते थे । निम्नाङ्धति पव्तियों मे उनका विरक्तभाव उभरकर सामने आ जाता है-ॐ नस सिद्धेभ्य । अब मै अपनी नियमावली लिखता हु । मै जो ह एक चैतन्य आत्मा । इस पर्याय मे सुभेरचन्द्र कहलाता हू। अपने चित्त मे लघुता को प्राप्त होता हुआ इस पुस्तक में याद रखने वाले अपने नियमो का तथा इन्दा के प्रोग्राम को लिखता हूं। मेरी क्रिया कोई श्रेणीबद्ध नही है। कोई नियम कही का कोई नियम कही का । यथावत प्रतिभा के भाव से मेरे नियम नही है । मेरी शक्ति अल्प है और द्रव्य-क्षेत्रकाल-भाव बदला हुआ है। श्री गुरु के साक्षात्‌ मुखारविन्द के उपदेश के बिना पञ्चमकाल मे साथैक त्रत नहीं सध सकता और श्री गुरु महाराज इस पञ्चमकाल मे इस क्षेत्र मे दीखते नही । इस वास्ते मै पाक्षिक अवस्था को प्रथम अवस्था मे जो मेरी चन्द्र वाले आत्मा ! तूने इस ससार मे मनुष्य जन्म पाया है। सेतीस वप तक कु आत्मानुभव नही किया । विषय कषायमेही सब उम्र गमाई। अब भी क्या भूल मे रहना चाहिये ? अरे मही किस दिन परलोक हो जावे ) টি তা বি রং




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now