रेशमी टाई | Reshami Tai

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Reshami Tai by डॉ रामकुमार वर्मा - Dr. Ramkumar Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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८९ 9 आपको अपने वातालाप मे भी अनुभव होगा कि जब आप किसी घटना को यथावत्‌ कहते हैं तब उसमें लोगों को विशेष दिलचस्पी नही होती लेकिन जत्र आप उसी में अपनी ओर से नमक-मिचे त्गा देते हैं तो वही हँसने-हँसाने की सामग्री बन जाती है। घटना की अन्य साधारण बातों को हम छोड देते है और 'श्रपनी रुचि को वात को तीजवर करते हृ उदे कसान के बिन्दु तक खींच लाते हैं और तब वह वातत एकर स्मरणीय घटना बन जाती है / जीवन की घटनाएँ अपने अविराम प्रवाह में बहती रहती हैं। उनमें न तो कोई सजावट होती है और न कोई निश्चित एक- रूपता | जहाँ घटना तीवतर हो सकती है, वहाँ उसमें शेथिल्य मिलता है, उमे जगह जगह गति में अब गेघ भी होता है, कहीं उसमे अनावश्यक बातों से दिशा-परिवर्तेन भी हो जाता है। संक्तेष में उसकी कोई निश्चित रूपरेखा नहीं होती | कलाकार चटी উই बातों को अपनी प्रतिभा से जोड कर घटनाओं को एक सुनिश्चित रूप दे देता है | दवी हुईं बातो को उभारता है और अनावश्यक बातों को काट-छॉट कर एक धुनिश्चित गति और दिशा »खों के सामने स्पष्ट करता है | जगल में अनेक सुन्दर फूल खिले होते हैं जिनकी भोर हमारी हृप्टि मी नहीं जाती । यदि जाती भी है तो हम उनकी ओर आकर्षित नहीं होते | लेकिन जब उन्हीं फूलों का संकलन माला के रूप में होता है तव हम प्रत्येक फूल के सौंन्दय पर मुरध होते हैं भौर माला के निर्माण में प्रत्येक फूल के रण और क्रम की आवश्यकता का अनुभव




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