जागरी | Jagree

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Jagree by सतीनाथ - Satinathहंसकुमार तिवारी - Hanskumar Tiwari

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हंसकुमार तिवारी - Hanskumar Tiwari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4 जागरी होने से राह-बाट मे मरा पडा रहेगा--मगर अपने मुल्क का आदमी ऐसा कुछ नही करेगा कि उसे जेल में जाना पडे। एक बार इनकिलाब जिदाबाद का नारा बुलद करने से या हलवाई की दूकान से मुट्ठी भर कुछ उठा लेने से अगर छे-एक महीने के लिए अन्न-पानी ओर सर छिपाने के लिए जगह का बदोबस्त हो जाय तो भूखे मरने की क्या पडी है' “साढे-चार हजार किसी शहर मे पाच हजार की आबादी होते ही बह म्युनिसिपेलिटी मे ग्रिना जा सकता है। जेल भी गोया एक छोटा- मोटा शहर है। इस शहर का नाम लौहग्राद' हो तो बडा अच्छा हो। ध्वनि की' भकार से सुनने मे ठीक लेनिनग्‌राद-सालगे। लोहे के पत्तर के उन' छेदों की ओर कान लगा कर ब ठा रहता हु । आदमी के गले का स्वर इतना मीठा लगता है । जेल की पालिटिक्स, जेल के बाहर की पालिटिक्स--यहा बैठकर सब कुछ जाना जा सकता है। सुपरिटेडेट से जेलर बाबू की नहीं पटती, हेड-जमादार को जेलरबाबू आप' कहते है या 'तुम', जापानियो के युद्धकौशल की बात, कैदियों की तादाद बढ जाने से कितनो को रिहा कर दिया जायेगा (जेल की भाषा मे छठेया), बर्मा के जेल स्टाफ आपस में एकजुट होकर बिहारी जेल-कर्मचारियों को धसाने की कोशिश कर रहे है--ये बाते, और भी कितनी बाते उड़कर कानो मे आती । उस दिन राजनीतिक केदियो पर लाटी-चाजं होने के बाद स्ट्रेचर कितनी बार अस्पताल आया-गया, इसका लेखा यही बैठकर लगाया गया था । लोहे की भन्‌-मन्‌ आवाजसते ही समफजाताकिजोकंदीजारहाहै, उसे बार फेटर्स' की सजा (स्थानीय भाषा में डडा बेडी) मिली है, उसने शायद किसी जेल कमंचारी का हुक्म नही माना था । उफ्‌, मच्छर ¦ सा होने के बाद खेर है भला ? उस दिन सुर्पारिंटेडेंट ने आकर पूछा था, कुछ जरूरत है या नही। यानी जो मागोगे, सभव होगा तो दूगा। बचपन से ही सुनता आया था कि फासी के मुजरिम को ऐसा पूछा जाता है और ज्यादातर लोग अच्छा खाना-वाना मागते है। आखिर नये सुर्पा रटेडेट ने मुभसे भी एसी मिन्नत की उम्मीद की थी क्‍या ? मुझे बड़ा लोभ हो जाता था कि एक मच्छरदानी की कहू । कुछ दिन आराम से जो ही सो लिया जा सके । लेकिन कहते वक्त म कहु नही सका । आत्मसम्मानमे कसी तो चोट लगने लगी ! कहा, 'शुक्रिया। मै बडे आराम से हु। किसी चीज की जरूरत नही ।--.” वार्डर ने बाद में मुझे बताया था--उड़ीसा के किसी कर्‌द राज्य के दो 'सुराजी' बाबूओ को इसी'




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