प्राचीन भारत का राजनैतिक इतिहास | Prachin Bharat Ka Rajnatik Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना | १ १. प्राक्कथन कोई भी ध्यूसीडाइडस या टेसीटस अभी तक ऐसा नहीं हुआ जिसने भावी पोढ़ी को सामने रक्सा हो और प्राचीन भारत के वास्तविक इतिहास पर किसी तरह का कोई प्रकाश डाला हो । फिर भी, अनेक विद्वानों तथा पुरातत्त्ववेत्ताओं के पैर्ययुक्त अनुसन्धानों के फलस्वरूप हमारे सामने भारत के प्राचीन इतिहास के पुनर्गठन के लिये तथ्यों का प्रचुर भशडार उपस्थित है । सर्वप्रथम डॉक्टर विस्सेन्ट स्मिथ ने इस सतत्‌ अभिवृद्धिशील ज्ञान-मरडार की एक-एक वस्तु को छाँटने, उसे क्रमबद्ध तथा संचित करने का उल्लेखनीय प्रयास आरम्भ किया । किन्तु, महानु इतिहासकार विन्सेन्ट स्मिथ यमुना के तट पर कौरवो तथा पाणडव के बीच हुए महाभारत के युद्ध के तुरन्त बाद के युग की उपेक्षा कर गये, क्योंकि उन्हें तत्सम्बन्धी कथाओं में कोई गम्भीर इतिहास नहीं मिला । डॉक्टर स्मिथ ने सातवीं शताब्दी ईसापूर्व के मध्य से अपना इतिहास आरम्भ किया। परन्तु, इस पुस्तक के लेखक का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय इतिहास के उपेक्षित कालों, जातियों व राजवंशों के इतिहास की एक निश्चित रूपरेखा तैयार करना है। अतः मैं महा- भारत के युद्ध के बाद हुए राजा परीक्षित के राज्याभिषेक (पुराणों के अनुसार ) से अपना कार्य आरम्भ कर रहा हूँ। परीक्षित-काल तथा उत्तर परीक्षित-काल के सम्बन्ध में वीबर, लासेन, ईगलिंग, कालैरड, ओल्डेनवर्ग, जैकोबी, हाप्किन्स, मेकडोनेल, कीथ, री, डेविड्स, रिक, पाजिटर, भराशरकर तथा अन्य इतिहासकारो ने पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत की है, किन्तु ब्राह्मण तथा ब्राह्मणेतर साहित्य से उपलब्ध सामग्री के आधार पर परीक्षित से बिभ्बिसार तक के राजनीतिक इतिहास की रूपरेखा तैयार करने का प्रयास अगले पृष्ठों में पहली ही बार किया जा रहा है ।




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