महकते जीवन फूल | Mahakte Jivan Phool

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Mahakte Jivan Phool by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्राध्यात्मिक दृष्टिफोरण घारण करनेसे सुख-शाल्ति ४ इसके विपरीत एक सवेदनशौल व्यक्ति केवल अपने दर्शनकी सूक्ष्मता, अनुभूतिकी गहराई और उदार दृष्टिकोणकी शक्तिसे दूसरों- की अनेक वस्तुओंका आनन्द ले सकता है । जो व्यक्ति बाग लगाते हैं, आप उनके बागमे जाकर प्रकृतिका आनन्द ले सकते हैं । घनी- मानी सज्जनोके मकानोमे बचे हुए चित्रोकी कलाको परखकर आप कलाके भव्य प्रदेशमे प्रवेश कर सकते हैं ॥ उनके घरमे बजनेवाले वाद्य-संगीतका अनन्द ले सकते हैँ । दूसरोकी पुस्तक लेकर पढ सकते हैं ओर आनन्द लाभ कर सकते है । दूसरोके ह्षमे हर्षित और दु खमें सम्मिलित होकर अपनी आत्माकी परिघिका विस्तार है सकते हैं.। दूसरोके वाल-बच्चे आपके बाल-बच्चे हैं ! प्रत्येक व्यक्ति आपसे सम्बन्धित आपका मित्र एवं हितेषी है। वास्तवमे मानन्द गौर सौन्दयं वस्तुभोमे नहीं है, देखनेवालेके मनमे है । हमारे आनन्द ओर सौन्द्येका मापदण्ड हमारे मनकी ऊँचाई ओर चौडाईपर निर्भर है। जिसकी रुचि जितनी परिष्कृत है, हृदय जितना संवेदनशील ओर उदार है, वह उतना ही आनन्द “^ ओर सौन्दयेका पान करता & । मनुष्यका दृष्टिकोण ही, आनन्द देनेवाला है । ससार जिस भौतिक आनन्दके लिये अशान्त'है, उसमे आनन्द लेशमात्र भौ नही है 1 वास्तविक आनन्द तो हमारे अदर हमारी आत्मामे ह । यहं सोचकर मत विक्षुन्व हुजिये कि जपं बड़े-बड़े उदयान, सहलो मथवा विशाल अट्टालिकाओंके मालिक नही & । कल्पना कोजिये छि यदि ये वस्तुं आपकी होती भी, तो भी आप ছুল্




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