उनमन | Unaman

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Unaman by दिनेश नन्दिनी - Dinesh Nandini

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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खोए हुए पवतां म कोई छिपी हुई मनोरम मृत्यु की घाटी नहीं है, और न मानव पद-चिहन-रहित “ कोई पवित्र किनारा ही जहाँ बैठकर में तारों का गुप-चुप होनेवाला- प्रेमालाप देख सकती, सोने फे पूवं श्रकंष्ति के चिराग को गुलकर उनकी श्वेत समा. मे होनेवाले मानव कर्मानुसार उनके माम्य का निर्णय सुन सकती--समय की धूरि से ऋपना रूप घुँधला कर एक सूत्र मं पोये हए मनक की भाँति निरन्तर फिरनेवाले करर अरहो सेषएकं बार मंगल मिलन का महा आशीर्वाद माँग लंती !




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