बिगडती हुई आबोहवा | Bigadti Hui Aabohawa
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
800 KB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
परिचय
जन्म : 20 अगस्त 1937
जन्म स्थान : ग्राम कटार, जिला भीलवाड़ा, राजस्थान, भारत
भाषा : हिंदी
विधाएँ : कविता, कहानी, आलोचना
प्रकाशन : दस काव्य संकलनों सहित कुल मिलाकर तीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित, जिनमे प्रमुख हैं --प्रतिनिधि कविताएं और प्रगति शील कविता के मील पत्थर तथा आज़ादी के परवाने (भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की हुतात्माओं की जीवनियां)। सामाजिक सरोकारों पर सम्पादित त्रयी : धर्म और बर्बरता ,साम्प्रदायिकता का ज़हर और जाति का जंजाल। जाने माने निरीश्वरवादियों के जीवन संघर्ष पर : भारत के प्रख्यात नास्तिक और विश्व के विख्यात नास्तिक।
मुख्य कृतियाँ -
कविता संग्रह : ये सपने : ये प्रेत, अभि
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्योंकक सन 2000 से 2006 तक के िीच बिखी गयी मेरी कबवताएं ‘नई सदी की शुरूआत में’,
‘ककतािें’, ‘िचाओ’, ‘क्राकोच’, ‘अजन्में िाबिका भ्रूण का आत्मबचन्तन’, ‘भाबिक भ्रष्टाचार’
, ‘बसकुड़ता हुआ अन्तररक्ष’, ‘बववेक संगत’, ‘मैं ढूूँढ़ रहा हूँ’, ‘अपने ही घर में’, ‘सोचना’,
‘नयी पीढ़ी से’, ‘ससहासन या दरी’, ‘परमबपता परमात्मा के बसवा’, ‘कुहरे में डूिा नया साि है
’ और ‘ककतना अच्छा है’ आकद, मेरे 2010 में प्रकाबशत संकिन ‘प्रबतबनबि कबवताएं’ में
सबममबित की जा चुकी हैं। इसबिए इस कािावबि में बिखी जाने के िावजूद उन्हें इस संकिन में नहीं
बिया जा रहा है। अपवाद स्वरृप ‘मैं मरृूँ गा सुखी’ कबवता का नया संस्करण, पयााप्त पररवतानों के
कारण, ‘शाबन्त से मरृूँ गा मैं’ शीिाक से संकबित ककया जा रहा है।
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