क्यों नहीं हो सकते सरे स्कूल 'तोत्तोचान' के स्कूल जैसे ? | KYON NHIN HO SAKATE SARE SCHOOL "TOTTOCHAN" KE JAISE SCHOOL ?

KYON NHIN HO SAKATE SARE SCHOOL "TOTTOCHAN" KE JAISE SCHOOL ? by तेत्सुको कुरोयांगी - TUTSUKO KUROYANGIपुस्तक समूह - Pustak Samuhपूर्वा याज्ञिक कुशवाहा - PURWA YAGYIK KUSHWAHA

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

तेत्सुको कुरोयांगी - TUTSUKO KUROYANGI

No Information available about तेत्सुको कुरोयांगी - TUTSUKO KUROYANGI

Add Infomation AboutTUTSUKO KUROYANGI

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा - PURWA YAGYIK KUSHWAHA

No Information available about पूर्वा याज्ञिक कुशवाहा - PURWA YAGYIK KUSHWAHA

Add Infomation AboutPURWA YAGYIK KUSHWAHA

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भीतर जलते स्कूल को देखकर एक ही सवाल घुमड़ता है कि तोमोये जैसा ही दूसरा स्कूल वे कब और कहां बना पाएंगे। तोत्तोचान की कहानी लिखी है तेत्सुको कुरोयांगी ने। जिस दौर में जापान में शिक्षा की बदहाली अपनी चरम पर थी, उसी दौर में इस पुस्तक का आना जापानी पालकों के लिए एक बिल्कुल नई और चौंकाने वाली दुनिया से दो-चार होने जैसा था| इसीलिए इस किताब की लाखों प्रतियां हाथों-हाथ बिक गईं। बेशक, हमारे स्कूलों में बच्चे अपने पूरे बचपने के साथ मौजूद नहीं हैं। ऐसे में तोमोये 1 चुनौती भरे मॉडल बनकर आते हैं। इस स्कूल की तुलना में जब हम अपने सरकारी, गैर-सरकारी, महंगे और खैराती स्कूलों पर नजर डालते हैं तो सिर्फ अफसोस नहीं होता बल्कि एक जबरदस्त सदमा भी पहुंचता है| हमारे इन शिक्षा संस्थानों में हर रोज करोड़ों तोत्तोचान जिब्ह हुई जा रही हैं और इस बात की परवाह करने वाला कोई नहीं है। 80 जवस्वरपदिसस्बर 299& संदर्भ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now