पदार्थों की रचना और संकेतों की भाषा | PADARTHON KI RACHNA OR SANKETON KI BHASHA

PADARTHON KI RACHNA OR SANKETON KI BHASHA by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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असंभव है कि वह तत्व ही है। हो सकता है कि कल के दिन कोई ऐसी क्रिया निकल आए कि उस पदार्थ को भी बांटा जा सके | तब उसे यौगिक मानना होगा | हां, तब तक के लिए उसे तत्व मानकर ही आगे बढ़ सकते हैं | उदाहरण के लिए पहले पानी को एक तत्व माना जाता था किन्तु बाद में पता चला कि वह तो एक यौगिक है। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं। तुम्हें लग रहा होगा कि किसी पदार्थ के बारे में यह फैसला करना काफी मुश्किल काम है कि वह मिश्रण है, यौगिक है या तत्व है। तुम्हारा विचार सही है | इसीलिए जो भी फैसला हो, उसे अस्थाई ही माना जा सकता है। वैसे तत्व, यौगिक और मिश्रण के बीच अंतर करने का एक तरीका और भी है। उस तरीके का सम्बंध पदार्थ के कणों से है। पदार्थ के कण सारे पदार्थ कणों से मिलकर बने होते हैं। अब दुनिया में इतने सारे पदार्थ पाए जाते हैं और प्रत्येक पदार्थ के गुण भी एकदम अलग होते हैं। तो क्या हरेक पदार्थ के कण भी अलग किस्म के होंगे? सचमुच सारे पदार्थों के कण अलग-अलग होते है | यहां हम जिन कणों की बात कर रहे हैं वे बहुत ही छोटे होते हैं| इतने छोटे कि अच्छे से अच्छे सूक्ष्मदर्शी से भी उन्हें नहीं देखा जा सकता। यदि हम कोई मिश्रण लेंगे तो उसमें कई प्रकार के कण पाए जाएंगे। जितने पदार्थ उस मिश्रण में मिले हैं उतने ही प्रकार के कण उसमें होंगे। जैसे चाशनी लें तो उसमें पानी के कण होंगे और शक्कर के कण होंगे। हम शुद्ध पदार्थों की बात कर ही चुके हैं। किसी भी शुद्ध पदार्थ के सारे कण एक जैसे होते हैं। अर्थात उन सबका वजन एक बराबर होता है, उनके गुण एक समान होते हैं। हमने देखा था कि शुद्ध पदार्थ दो प्रकार के होते हैं - तत्व और यौगिक | 0 0० शुद्ध पदार्थ की विशेषता है कि उसके सारे कण एक जैसे होंगे चाहे वह 5 ना शिक ७०0 09 तत्व हो या यौगिक | चित्र 2: शुद्ध पदार्थ पदार्थों की रचना और संकेतों की भाषा 223




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