आपकी छोटी लडकी | AAPKI CHOTI LADKI
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
948 KB
कुल पष्ठ :
9
श्रेणी :
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ममता कालिया - Mamta Kalia
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हाँ, बाबा हा,” दीदी ने हँसते-हँसते कहा। आपके कब आटे
टुनिया को पहली बार रोना-रोना-सा आया। कितने बेहूदा लड़के हैं। कैसे भद्दे
मजाक करते हैं। यह क्या शर्त लगाने की बात है? कितनी बार वह दीदी के
साथ कॉलेज आ चुकी है। बहन नहीं तो क्या चपरासिन है?
घर जाकर टुनिया ने किसी से कुछ न कहा पर रुलाई एक न् अन्धड़ की तरह
मन में घुमड़ रही थी। किसी को उसकी ओर देखने का समय ही कहाँ था। कोई
दीदी की पीठ ठोंक रहा था, कोई उसका मुँह चूम रहा था। कक
रात ० 50, टनिया अपने बिस्तर पर लेटी, उसे न जाने कहाँ से रुलाई आ गयी।
उसे पता नहीं था, वह क्यों रो रही थी पर आँसू थे कि बहे जा रहे थे। लगातार _
रोने से नींद भी उड़ गयी। उन लड़कों ने क्यों कहा कि वह दीदी की कोई नहीं।
और फिर अगर लड़कों ने बदतमीजी की भी, तो क्या दीदी उन्हें डपट नहीं सकती
थी। क्या उंसका हाथ अपने हाथ में ले, गर्व से नहीं कह सकती थी,/“देखो, यह
है मेरी बहन, मेरी अपनी छोटी बहन, तुम्हें दिखायी नहीं देता?''
_ रात भर की छटपटाहट के बाद टुनिया ने तय किया वह लड़कों की बातों पर
बिल्कुल ध्यान नहीं देगी। वह अपना पूरा ध्यान पढ़ने में लगायेगी। दीदी के कॉलेज
अब कभी नहीं जायेगी। मम्मी कहेंगी, तब भी नहीं।
. शनिवार को पापा ने सुबह बैठक साफ करवायी। उनकी बैठक बस दुनिया
साफ कर सकती,है। उनकी कामवाली कोलीन को तो जरा भी तमीज़ नहीं।
जरूरी से जरूरी कागज, रहदी समझ, कूड़े में बटोरकर फेंक देगी। दुनिया जानती
है, कागज पापा की जान हैं। एक-एक चिट्ठी, एक-एक अखबार क्यों रखा हुआ
: हैं उसे पता है। मम्मी तो उकता जाती है इस सफाई-अभियान से। पर टुनिया
नहीं थकती। वह इस काम को झाड़ू और झाड़न की जुगलबन्दी कहती है।
आर फर्श पर बिछे बिस्तर की चादर बदली गयी। किताबें ठीक से लगायी गर्यी।
ज़पोश धुले हुए बिछाये गये। एक बहुत बड़े साहित्यकार आनेवाले थे।
.. दुनिया किताबों की दुनिया से अनजान नहीं। किताबें उसे बेहद प्रिय हैं। वह
_ कुछ भी और सब कुछ पढ़ डालती है, जो सामने आ जाये। यह जो साहित्यकार
. आने कुल, हैं, श्री मुक्तिदूत, इनका उपन्यास भी उसने पढ़ा है। उसके मन में
: उन्हें देखने की बहुत इच्छा है। टुनिया जानना चाहती है वे दूसरे के मन की
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