तोता | TOTA

TOTA by पुस्तक समूह - Pustak Samuhरवीन्द्रनाथ टैगोर - RAVINDRANATH TAGORE

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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बड़ा भानजा बोला, “महाराज गौर फरमाइये, सारा तामझाम आंखों के सामने है । कुछ भी छिपा नहीं रह सकता, फिर आपकी आंख तो पर्वत को भी भेद कर साफ देख सकती है।'' महराज बेहद खुश होकर लौट पड़े। ड्योढ़ी को पार करने के बाद हाथी पर सवार होने वाले ही थे कि झुरमुट की ओट में दुबका निंदक बोल उठा, “हुजूर आपने पक्षी को देखा कि नहीं?!




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