भगवदगीता के सामाजिक-राजनीतिक पहलू | BHAGWAT GITA KE SAMAJIK AUR RAJNEETIK PEHLU

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दामोदर धर्मानंद कोसांबी - Damodar Dharmananda Kosambi

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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की लगभग सभी चीजों से जुड़ती है। ऐसा लगता है कि इस पूरी जटिलता और उससे जुड़े ब्राह्मणों के लिए इस संख्या का विशेष महत्व था। ब्राह्मणों के 18 मुख्य गोत्र-कुल थे, हालांकि मुख्य ऋषि केवल सात थे। शायद यही वजह है कि इन 18 गोत्रों में से कई इस ढांचे में वाजिब ढंग से शामिल होते नहीं लगते, जैसे केवल (या केवल्य) भार्गव और केवल अंगिरस। पुराणों की संख्या 18 है और महाभारत में 18 पर्व हैं (हालांकि प्रस्तावनगा से पता चलता है कि पहले इसमें 100 सर्ग थे)। भारत युद्ध 18 दिनों तक चला था और इसमें दोनों तरफ से 18 अक्षोहिणी सेना ने भाग लिया था। गीता में भी 18 अध्याय हें। ऐसा बेवजह नहीं किया गया होगा। इस बात की उम्मीद नहीं की 16




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