भगवदगीता के सामाजिक-राजनीतिक पहलू | BHAGWAT GITA KE SAMAJIK AUR RAJNEETIK PEHLU
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
565 KB
कुल पष्ठ :
48
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
दामोदर धर्मानंद कोसांबी - Damodar Dharmananda Kosambi
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)की लगभग सभी चीजों से जुड़ती है। ऐसा लगता है कि इस पूरी
जटिलता और उससे जुड़े ब्राह्मणों के लिए इस संख्या का विशेष महत्व
था। ब्राह्मणों के 18 मुख्य गोत्र-कुल थे, हालांकि मुख्य ऋषि केवल
सात थे। शायद यही वजह है कि इन 18 गोत्रों में से कई इस ढांचे
में वाजिब ढंग से शामिल होते नहीं लगते, जैसे केवल (या केवल्य)
भार्गव और केवल अंगिरस। पुराणों की संख्या 18 है और महाभारत में
18 पर्व हैं (हालांकि प्रस्तावनगा से पता चलता है कि पहले इसमें 100
सर्ग थे)। भारत युद्ध 18 दिनों तक चला था और इसमें दोनों तरफ से
18 अक्षोहिणी सेना ने भाग लिया था। गीता में भी 18 अध्याय हें।
ऐसा बेवजह नहीं किया गया होगा। इस बात की उम्मीद नहीं की
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