घड़ियों की हड़ताल | GHADIYON KI HARTAL

GHADIYON KI HARTAL by पुस्तक समूह - Pustak Samuhरमेश थानवी -RAMESH THANVI

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रमेश थानवी -RAMESH THANVI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नहीं समझतीं। वे सोचती हैं कि समय बताते रहने की ८ पडा कक ५ अब कोई सार्थकता नहीं है। इस स्थिति को घड़ियाँ अपना 0) अपमान समझती हैं और वें बंद हो गई है।.. कक 5 सरकारी अफ़सर जब बयान पढ़कर सुना रहा था, तबन्सः ढीस अफ़सर गर्दन हिला-हिलाकर घड़ियों की राय से अपनी सहमंतिजतातन कक रहे थे। वे सोच रहे थे, रूठी घांडियों को कैसे मनाया जाए? ज़िम्मेदार ”,| लोगों को जनता के दुःख-सुख के साथ कैसे जोड़ा जाए? . ... ८ ता हा कर पा (६. री |. ब्जे क्र 11 ॥ कि | ही कक ज्ञु ग के मत 1] है 5 की. घंड़ियों की हड्ताल/13




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