हमें परमाणु के विषय में कैसे ज्ञान हुआ ? | HOW DID WE KNOW ABOUT ATOMS

HOW DID WE KNOW ABOUT ATOMS by आइज़क एसिमोव -ISAAC ASIMOVएस० के० जैन -S. K. JAINपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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आइज़क एसिमोव -Isaac Asimov

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साथ भार से 8 गुणा अधिक होना चाहिये. तब, ऑक्सीजन परमाणु का भार, हाइड्रोजन के 1 परमाणु के भार की तुलना में 16 गुणा भारी होना चाहिये. यदि हम हाइड्रोजन का भार । से प्रदर्शित करते हैं तो ऑक्सीजन का भार ॥6 होना चाहिये. रसायनज्ञों ने जल के अणु में हाइड्रोजन के 2 परमाणुओं की उपस्थिति को स्वीकार किया, परन्तु किसी ने भी अवोगाद्रो की अवधारणा की और ध्यान नहीं दिया. लगभग 50 वर्षों तक, रसायनज्ञ यह नहीं समझ पाये कि गुणज अनुपातों के नियम का क्‍या अर्थ है. 1820 तक, अनेक रसायनज्ञ तत्वाँ एवं परमाणुओं के विषय में चर्चा कर रहे थे कि उन्हें ऐसा प्रतीत होने लगा कि तत्वों के वर्णन के लिये किसी शॉर्टहैंड (६1071भा0) की आवश्यकता है. जब भी उन्हें जल को बनाने वाले कणों के विषय में चर्चा करनी होती थी, सदैव यह् कहना इतना जटिल था कि अल का 1 अणु , हाइड्रोजन के 2 परमाणुओं एवं ऑक्सीजन के 1 परमाणु से बना हैं परमाणुओं को प्रदर्शित करने के लिये, डाल्टन ने लघु वृतों को उपयोग किया. उसने प्रत्येक भिन्‍न तत्व के परमाणु को भिन्‍न प्रकार के वृत से बनाया. एक तत्व केवल रिक्त वृत था, अन्य काला वृत था, कोई और तत्व बिंदु (1०0) के साथ वृत था, और इसी प्रकार अन्य भी थे. यौगिक बनाने के लिये, विभिन्‍न परमाणु किस प्रकार संयोजन करते हैं, इसको दर्शाने के लिये, उसने विभिन्‍न वृतों को एक साथ रखा. यह एक सांकेतिक भाषा थी जो उपयुक्त होने में शीघ्र ही कठिन हो गयी, क्योंकि अधिक तत्वों एवं यौगिकों को प्रदर्शित करने की आवश्यकता पड़ गयी. 1813 में, जोन्स जकोब बेज़ैलिउस (1ण1०४ 1200० 8०2०1ए५) नाम के एक स्वीडनवासी रसायनज्ञ को अधिक उपयुक्त विचार आया. उसने सुझाव दिया कि प्रत्येक तत्व को उसके लैटिन (807) नाम के प्रथम अक्षर से प्रदर्शित किया जाये. यदि 2 तत्व समान अक्षर से प्रारंभ होते हैं, नाम के दूसरे अक्षर का उपयोग किया जा सकता है. वह रासायनिक चिन्ह/प्रतीक होगा, जो तत्व तथा उसके एक परमाणु को भी प्रदर्शित करेगा. अतः, ऑक्सीजन को /तनाइट्रोजन को |१कार्बन को (क्लोरीन को (गैंधक (४००४ए) को 5फोस्फोरस को ?तथा इसी प्रकार अन्य तत्वों को प्रदर्शित किया जा सकता है. जब लैटिन नाम अंग्रेजी नाम से भिन्‍न थे, प्रतीक स्पष्ट नहीं था. उदाहरणतः, चूँकि स्वर्ण (४००) के लिये लैटिन नाम ऑरम (बणपाा)” है, स्वर्ण के लिये रासायनिक चिन्ह/प्रतीक “है. ५” बेज़ैलिउस की प्रणाली का उपयोग करने पर, विभिन्‍न पदार्थों के अणुओं को प्रदर्शित करना सरल हो गया. उदहारणतः, हाइड्रोजन के एक परमाणु को प्रदर्शित करता है, परन्तु यह पाया गया कि हाइड्रोजज गैस एकल (आ81०) परमाणुओं से नहीं बनी है. यह अणुओं से बनी है, जिसका प्रत्येक अणु हाइड्रोजज के 2 अणुओं से बना है. अणु को १ के रूप में लिखा जा सकता है.




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