हमें अपनी मानवीय जड़ों का कैसे पता चला? | Hame Apni Manviya Jadon Ka Kaise Pata Chala?

HOW DID WE KNOW ABOUT OUR HUMAN ROOTS? by अरविन्द गुप्ता - ARVIND GUPTAआइज़क एसिमोव -ISAAC ASIMOVपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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3. जावा-मैन और पीकिंग-मैन यह स्पष्ट है कि अगर नियनडरथल-मैन भी होमो-सेपियन्स हैं तो वे लापता-कडी नहीं हो सकते। नियनडरथल-मैन हमसे बहुत कुछ मिलते-जुलते हैं और इसलिए उनका 'मिसिंग-लिंक' (लापता-कडी) होने की बात ठीक नहीं लगती। पर डारविन के सिद्धांतों में विश्वास करने वालों को लगता था कि ऐसी लापता-कडी होनी ही चाहिए। जर्मन जीवशास्त्री अरनेस्ट हेनरिक हेकुल (1834-1919 ) ने इस लापता-कड़ी को एक नाम तक दे डाला था 'पिथिनकेनश्रोपस' जिसका यूनानी में अर्थ होता है 'बनमानुष'। उन्हें लगता था कि यह प्रजाति मनुष्य और बनमानुष के बीच की कोई प्रजाति होगी। डच चिकित्सक यूजीन डयूबोह (1858-1941) की 'पिथिनकेनश्रोपस' की हडिडयां खोजने में बहुत रुचि थी और उन्हें इस काम को केसे किया जाए यह भी पता था। मानव के पूर्वजों के अवशेषों को खोजने के लिए उन्हें वहां जाना पडेगा जहां अभी




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