गुले अब्बास | GULE ABBAS

GULE ABBAS by ज़ाकिर हुसैन - ZAKIR HUSSAINपुस्तक समूह - Pustak Samuh

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

ज़ाकिर हुसैन - ZAKIR HUSSAIN

No Information available about ज़ाकिर हुसैन - ZAKIR HUSSAIN

Add Infomation AboutZAKIR HUSSAIN

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मैंने भी जी में सोचा कि इस तंग घेरे को छोड़ा तो अच्छा ही किया। आसपास और बहुत से गुले अब्बास थे | मैं उनसे खूब बातें करता | दिन भर हम सूरज की किरणों से खेला करते थे | और रात को चाँदनी से | ज़रा आँख लगती तो आसमान के तारे आकर हमें छेड़ कर उठा देते थे | अफसोस! ये मजे ज्यादा दिन न रहे |




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now