गधा और ऊदबिलाव | GADHA AUR UDBILAYO

GADHA AUR UDBILAYO by पुस्तक समूह - Pustak Samuhमेक्सिम गोर्की - MAXIM GORKYसेर्गेई मिखाकोव -SERGEI MIKHAILKOV

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुडिक ने डर से अपने पंखों पर जोर लगाया। उसने अपने छोटे पंख फैलाये और छोटे धूसर पैरों से कॉपते हुए कायरतापूर्वक चीं-चीं कर कहने लगा : “बहुत खुशी हुई! मैं सच बोल रहा हूँ, आपको देखकर बहुत खुशी हुई |” लेकिन माँ गौरय्या ने उसे ढकेलकर एक तरफ कर दिया और अपने पंखों को सिकोड़कर पूरे साहस के साथ और बड़े ही भयावह रूप में अपनी चोंच खोलकर सीधे बिल्ली की आँखों में निशाना साधा । “जाओ यहाँ से!” वह चिल्लायी। “ऊपर खिड़की पर जाओ, पुडिक! उड़ो...” डर ने छोटे गौरय्ये को जमीन से उड़ा दिया। वह थोड़ा-सा उछला, एक बार अपने पंख फड़फड़ाये और दूसरी बार फिर फड़फड़ाये, और इस तरह वह खिड़की के कगार तक पहुँच गया। 15 / गधा और ऊदबिलाव




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