कहाँ कहाँ नही है बाल | KAHAN KAHAN NAHIN HAI BAL

KAHAN KAHAN NAHIN HAI BAL by अज्ञात - Unknownपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बात है यह! शायद तब भी लोगों को अजीब लगी होगी, जैसे आज हमें लग रही है। भला किसने देखा है ऐसे होते हुए कि कोई भी चीज चलती ही जा रही है, कभी रुकती ही नहीं । इसी बात को न्यूटन ने पकड़ लिया। उसने कहा कि लुढ़कता हुआ कंचा इसलिए रुक जाता है क्योंकि न दिखने वाला एक बल उसे रोक लेता है। और सतह के साथ रगड़ के कारण लगने वाला यह बल कंचे पर उल्टी दिशा में लगता है| जैसे-जैसे कंचा सतह पर आगे बढ़ता है, यह 'रगडन' बल एक छुपे हुए हाथ की तरह उसे रोकता है| इसे घर्षण बल कहते हैं । आखिर में कंचा बेचारा रुक ही जाता है। पर यदि रोकने वाला कोई बल ही न हो, तो हर चलती हुई वस्तु चलती ही जाएगी, रुकेगी नहीं | वाकई , यह बात पचानी कुछ मुश्किल लगती है। इसलिए कि हमने ऐसा होते हुए कहीं भी देखा नहीं है। खास प्रयोग करें तो जरूर देख सकते हैं। पर आम जिन्दगी में देखने को नहीं मिलता, क्योंकि कई ऐसे बल हैं जो छुपे-छुपे काम करते हैं और चलती हुई वस्तुओं को रोकते रहते हैं। पर हम समझ बैठते हैं कि वस्तु अपने आप ही रुक गई। चलो, इन्हीं छुपे बलों को पहचानना सीखें | छुपे हुए बल को ढूंढ निकालें हम ठेले पर बल लगाते रहें तो ठेला चलने लगता है, और धीरे-धीरे उसकी गति तेज होने लगती है। हम धक्का या बल लगाना छोड़ दें, तो ठेले की गति कम होती जाती है और फिर कुछ दूर जाने के बाद वह रुक जाता है। हमने तो बल लगाना छोड़ दिया। पर ठेले पर एक विपरीत बल अब भी है। हां, वही सतह का घर्षण बल, जो उसकी गति को रोक रहा है। यह बल हमें दिखता तो नहीं, पर इसके असर को हम देख पाते हैं। यह घर्षण बल तो पहले से ही काम कर रहा था लेकिन हमारे बल के सामने कमजोर पड़ रहा था। एक और छुपा बल एक चलता हुआ ठेला दीवार से टकराकर रुक जाता है। ठेले की गति रोकने के लिए बल किसने लगाया? (6) ठीक समझे। दीवार ने ही ठेले पर बल लगाया। बात शायद अटपटी लगे, पर है तो सच। दीवार अगर बल न लगाती तो ठेला चलता ही जाता। सोचो, अगर ठेले के रास्ते में एक कागज की दीवार आती, तो वह तो जरा भी बल नहीं लगा पाती | तो बस, ठेला उसे यूं हटाकर निकल जाता। 56 कहां-कहां नहीं है बल




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