लुइ ब्रेल | LOUIS BRAILLE
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
733 KB
कुल पष्ठ :
14
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एक दिन की बात है कि लुई के पिता शहर से बाहर चमड़ा लेने के
लिए गए थे। मां पीछे खेत में दोपहर के खाने के लिए सब्जियां तोड़ने के
के बे रण लि लिए गईं थीं।बाकी अन्य लोग भी अपने-अपने काम में व्यस्त थे। किसी
के पर किक २ मद कर की के पास भी नन्हे लुई के साथ खेलने का समय न था। कुछ देर तो लुई
बे बे बाहर बाग में मटरगश्ती करता रहा । वह कभी किसी तितली को पकड़ने
के लिए दौड़ता तो कभी डंडी से ज़मीन को खोदता | काफी दैर तक यह
करते-करते वह ऊब गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या
करे | चलते-चलते वह अपने पिता की वर्कशाप के सामने से गुज़रा।
वर्कशाप का दरवाज़ा खुला था और अंदर कोई न था। औज़ारों की
चमक और चमड़े की महक लुई को वर्कशाप के अंदर ले गई | मेज पर
एक चमड़े का टुकड़ा पड़ा था और उसके पास ही चमड़े में छेद करने का
एक नुकीला सूजा रखा था। लुई का मन न माना। उसने सूजे से चमड़े
पर कुछ लिखने की कौशिश की | चमड़ा चिकना था। चमड़े पर से सूजा
फिसला और सीधे लुई की दाईं आंख में लगा | लुई की चीख सुनकर मां
दौडी-दौड़ी आईं। उन्होंने लुई की आंख को धोकर उस पर पट्टी बांधो।
लुई की आंख में तेज़ खुजली हुई | उसने हाथ से अपनी आंख को रगड़ा।
धीरे-धीरे उसे ऐसा लगा जैसे उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया
हो। दाईं आंख से बाईं आंख में भी इंफेक्शन फैल गया और उसकी
रोशनी भी कम होने लगी। कुछ दिनों बाद लुई को ऐसा लगा जैसे कि
किसी ने उसकी आंखों के सामने ,काला पर्दा डाल दिया हो।
लुई इस हादसे की गंभीरता को समझने के लिए बहुत छोटा था। वह
बार-बार अपनी मां से पूछता, “मां, सूरज कब निकलेगा? चंदामामा
आसमान में कब निकलेगा?” मां इसका क्या जवाब देती? उन्हें मालूम
था कि लुई अब अपनी आंखों से कभी भी चांद-सितारों को नहीं देख
पाएगा।
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