लुइ ब्रेल | LOUIS BRAILLE

LOUIS BRAILLE by अरविन्द गुप्ता - ARVIND GUPTAपुस्तक समूह - Pustak Samuh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
एक दिन की बात है कि लुई के पिता शहर से बाहर चमड़ा लेने के लिए गए थे। मां पीछे खेत में दोपहर के खाने के लिए सब्जियां तोड़ने के के बे रण लि लिए गईं थीं।बाकी अन्य लोग भी अपने-अपने काम में व्यस्त थे। किसी के पर किक २ मद कर की के पास भी नन्हे लुई के साथ खेलने का समय न था। कुछ देर तो लुई बे बे बाहर बाग में मटरगश्ती करता रहा । वह कभी किसी तितली को पकड़ने के लिए दौड़ता तो कभी डंडी से ज़मीन को खोदता | काफी दैर तक यह करते-करते वह ऊब गया। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे | चलते-चलते वह अपने पिता की वर्कशाप के सामने से गुज़रा। वर्कशाप का दरवाज़ा खुला था और अंदर कोई न था। औज़ारों की चमक और चमड़े की महक लुई को वर्कशाप के अंदर ले गई | मेज पर एक चमड़े का टुकड़ा पड़ा था और उसके पास ही चमड़े में छेद करने का एक नुकीला सूजा रखा था। लुई का मन न माना। उसने सूजे से चमड़े पर कुछ लिखने की कौशिश की | चमड़ा चिकना था। चमड़े पर से सूजा फिसला और सीधे लुई की दाईं आंख में लगा | लुई की चीख सुनकर मां दौडी-दौड़ी आईं। उन्होंने लुई की आंख को धोकर उस पर पट्टी बांधो। लुई की आंख में तेज़ खुजली हुई | उसने हाथ से अपनी आंख को रगड़ा। धीरे-धीरे उसे ऐसा लगा जैसे उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया हो। दाईं आंख से बाईं आंख में भी इंफेक्शन फैल गया और उसकी रोशनी भी कम होने लगी। कुछ दिनों बाद लुई को ऐसा लगा जैसे कि किसी ने उसकी आंखों के सामने ,काला पर्दा डाल दिया हो। लुई इस हादसे की गंभीरता को समझने के लिए बहुत छोटा था। वह बार-बार अपनी मां से पूछता, “मां, सूरज कब निकलेगा? चंदामामा आसमान में कब निकलेगा?” मां इसका क्या जवाब देती? उन्हें मालूम था कि लुई अब अपनी आंखों से कभी भी चांद-सितारों को नहीं देख पाएगा। ्ल मा हे बनना, न प्न्ज जा की गान व पड जप, ्ज्केय बे श् 5 कब ली | वि या शक आन.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now