विज्ञान क्या है ? | VIGYAN KYA HAI?

VIGYAN KYA HAI? by डी० पी० सिंह - D.P. SINGHपुस्तक समूह - Pustak Samuhविनोद रायना -VINOD RAINA

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विनोद रायना -VINOD RAINA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यह देखकर राजा, राजकुमार और महल के सभी निवासी इकट्टा हुए । मंत्री ने कहा, “महाराज, आपके आदेश से क्‍या में प्रयोग शुरू करूँ ?” राजा ने सोचा कि कहीं मंत्री मजाक तो नहीं कर रहा है । उसने कहा, “यह क्या मजाक है । विज्ञान का हाथी और अन्धों से क्‍या सम्बंध है ?” मंत्री बोला, “महाराज! यह मजाक नहीं है । अन्धों को यह मालूम नहीं है कि यहाँ कया हे । अब देखिए किस प्रकार ये अपनी जिज्ञासा से खोज करेगे ।” फिर मंत्री ने उन तीनों को एक-एक करके हाथी को छूने और उसका वर्णन करने का आदेश दिया । पहला अन्धा गया और हाथी की पूँछ को ट्टोलने लगा और बोला कि, “यह चीज रस्सी जेसी है ।” ॒ दूसरे ने सूंड को टटोलकर कहा कि, “यह साँप जेसी हे ।” तीसरे अन्धे ने उसकी टाँग छूकर बतलाया, “यह तो पेड के तने जेसी है ।” उनकी बातों को सुनकर सभी हँसने लगे और वे अन्धे उस हँसी से सकपका गए । मंत्री ने सबको शान्त किया । सब देखने लगे कि मंत्री क्या करता । मंत्री ने कहा, “हम लोगों ने देखा कि इन तीन आदमियों ने एक ही जानवर के बारे म तीन तरह की अलग-अलग और गलत बात कहीं । अब हम उनन्‍्ह एक साथ मिलकर कोशिश करने के लिए कह । 7 और मंत्री ने तीनों को आदेश दिया । तीनों अन्धे एक-दूसरे की राय सुनकर बहुत अचम्भे म पड़ गए और सोचने लग गए कि आखिर वह कौन सी चीज हो सकती है जो किसी हद तक 4.0. 001॥ 0 ,0/ 0०.4... >> मीकीिली०- ०००३ ....1..040 49 1... 1... । ॥। | | | 1 | | 7 71] या तत)ता ता छ 'पहला मंथधा उंछ टटोलन लगा, दूसेरने सूड को तीसरे ऊंशे ने उसकी टांग १1१8॥8॥8811॥11॥81॥1॥18॥1111111111811898॥80॥1॥ 1 १ ॥ ६६३ ॥ 8180 8 01010 860 ६88 ७8॥00 ९७५९७१४५८०६८॥९०७९४५१७६४७ ७४७७ ६३ ७ न है 8०००१ ा ५ ८ हू रन के! पं का के ३८७ ५ ५ 5 ब् * < 5 हे ५४ ्‌ पे *्‌ घ| कद 5 4 कच्ण हाई बला. 0.1 ै 5 5 | 2 न्ण्ः ई ४ ० 2 $ 2 कै - 5 1 | आल > 1 1 4 / आम 1 “+/22223 : : ५ 1 1 ४, : |) व: 4 ९:4) था अं अ्स्, ५ 1५६३ ४. श्र दा ३५7 कसम, ४४ ४ ५ 2 1 >> सा बन कं न & हा जज हट ५०४. कक १० «३ 2 चर :: :- का ५ [222 रस्सी की तरह, साँप की तरह और पेड के तने जेसी है । बहुत देर तक वे आपस म चर्चा करते रहे लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुँचे । हारकर उन्होंने उस जानवर को फिर से टटोलना तय किया । और इसके साथ उन्होंने यह भी तय किया कि अबकी बार वे सिर्फ ट्टोलगे नहीं बल्कि उस हिस्से की ठीक से खोज-बीन भी करेगे । काफी देर तक वे अपने-अपने हिस्सों को अच्छी तरह टटोलकर खोज-बीन करते रहे और एक-दूसरे को अपने-अपने अनुभव सुनाने लगे । पहला बोला, “अब में उस साँप जेसी चीज को महसूस कर सकता हूँ । अरे, यह तो ऊपर की ओर चला ही जा रहा है और लो, यह तो किसी बडी सिर जेसी चीज म गुम हो गया ।” उस अन्धे ने झट से अपना हाथ खींच लिया और बोला, “अरे, यह तो एक मुँह जेसा है । बच गया, नहीं तो अभी काट लेता । अब समझा वह जो साँप छा खाक




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