रसीदी टिकट | RASIDI TICKET

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अमृता प्रीतम - Amrita Pritam

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के बरतन भी अलग रख दिए जाते थे। होनी का मूंह अभी देखा नहीं था, पर सोचती हूं, उस पल कौन जाने उसकी ही परछाईं थी जो बचपन में देखी थी*** परछाइयां बहुत बड़ी हक़ीक़त होती हैं। हे द कु चेहरे भी हक़ीक़त होते हैं। पर कितनी देर ? परछाइयां, जितंनी देर तक आप चाहें:*'चाहें तो सारी उम्र। वरस आते हैं, गृज़र जाते हैं, रुकते नहीं। ... पर कई परछाइयां, जहां कभी रुकती हैं, वहीं रुकी रहती हैं*** हे यूं तो हर परछाई किसी काया की परछाई होती है, काया की मोहताज़ | पर कई -: परछाई ऐसी भी होती हैं, जो इस नियम के वाहर होती हैं, काया से भी स्वतंत्न और यूं भी होता है कि एक परछाई न जाने कहां से, और किस काया से टूटकर, तुम्हारे पास आ जाती है, और तुम उस परछाई को लेकर दुनियां में घूमते रहते हो और खोजते रहते हो कि यह जिस काया से टूटी है वह कौन-सी है? **गलतफ़हमियों का क्‍या हैं ? हो जाती हैं। तुम यह परछाई गैरों के गले से लगाकर भी देखते हो, न जाने उसी के माप की हो ! नहीं होती, न सही। तुम फिर उसे--अंधे रे-से को --पकड़क र, वहां से चल देते हो*** ह मेरे पास भी एक परछाई थी । नाम से क्या होता है, उसका एक नाम भी रख लिया था---राजन | घर में एक नियम था कि सोने से पहले 'कीर्तच सोहिले' का पाठ करना होता था, इसके संबंध में पिताजी का विश्वास था कि ज॑से-ज॑से इसे पढ़ते जाते हो तुम्हारे गिर्द एक किला वनता जाता है, और पाठ के समाप्त होते ही तुम सारी रात एक क़िले की सुरक्षा में रहते हो, और फिर सारी रात वाहर से किसी की मजाल नहीं होती कि वह उस क़्िले में प्रवेश कर सके। तुम हर प्रकार की चिन्ता से मुक्त होकर सारी रात सो सकते हो । यह पाठ सोते समय करना होता था। आंखें नींद से भरी होती थीं, इतनी कि मींद के ग़लवे में यह अधूरा भी रह सकता था। सो, इस संबंध'में उतका कहता था कि अच्तिम पंक्ति तक इसे पूरा करना ही है। अगर अन्तिम पंक्तियां छूट जाएं तो क्लिलेबंदी में कोई कोर-कसर रह जाती है, इसलिए वह पूरी रक्षा नहीं कर सकता । सो, अन्तिम पंक्ति तक यह पाठ करना होता था। हु बहुत बच्ची थी। चिन्ता हुई कि इस पाठ के वाद मेरे गिर्द किला बन जाएगा, तो फिर राजन मेरे सपने में किस तरह आएगा ? मैं क़िले के अंदर होऊंगी, वह क़िले के बाहर रह जाएगा***सो, सोचा कि पाठ कठस्थ है, अपनी 8 अर १. गुरु ग्रंथ का एक अंश-विशेष रसीदी टिकट : ५




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