उधड़ी हुई कहानियाँ | UDHDRI HUI KAHANIYAN

UDHDRI HUI KAHANIYAN by अमृता प्रीतम - Amrita Pritamअरविन्द गुप्ता - Arvind Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मोहर लगाते हैं।'' “तो तुम्हारी इस चिट्ठी के ऊपर गाँव वालों ने अपनी मुहर नहीं लगाई थी?'' ' नहीं लगाई तो क्‍या हुआ। मेरी चिड्डी थी, मैंने ले ली। यह कार्तिक की चिट्ठी तो सिफं कंतकी के नाम लिखी गई थी।'' तुम्हारा नाम केत्तकी है? कितना प्यारा नाम है। तुम बड़ी बहादुर औरत हो अम्मों ! ' में शेरों के कबीले में से हूँ।'' “ वह कौन-सा कबीला है, अम्मा? ”' हू यही जो जंगल में शेर होते हैं, वे सब हमारे भाई-बन्धु हैं। अब भी जब ३७ “मे )| जंगल में कोई शेर मर जाए तो हम लोग तेरह दिन उसका मातम मनाते है। धन | | हमारे कबीले के मर्द लोग अपना सिर मुँडा लेते हैं, और मिट्ठी की हैंडिया फोड़कर ३ *०| मरने वाले के नाम पर दाल-चावल बाँटते हैं।*' 1 है। “' सच्च अम्माँ।” 1 असाऋऋषााामान क--++-नन-कैनन--“-० मैं चकमक टोला की हूँ । जिसके पैरों में कपिलधारा बहती. है। यह कपिलधारा क्‍या है अम्मों।'' “ तुमने गंगा का नाम सुना है?'' “” गंगा नदी?” ” गंगा बहुत पवित्र नदी है, जानती हो न? “ जानती हूँ।'' ५ ” पर कपिलधारा उससे भी पवित्र नदी है। कहते हैं कि गंगा मइया एक साल । रे में एक बार काली गाय का रूप धारण कर कपिलधारा में स्नान करने के लिए जाती है।'' '' बह चकमक टोला किस जगह है अम्माँ ?'' “ करंजिया के पास ।' “ और यह करजिया ? “ तुमने नर्मदा का नाम सुना है?'' 4 '




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