गीत पंचशती | GEET PANCHSHATI

GEET PANCHSHATI by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaरवीन्द्रनाथ टैगोर - RAVINDRANATH TAGORE

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रवीन्द्रनाथ टैगोर - Ravindranath Tagore

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ज्जा १ आमारे के निबि भाइ, सँपिते चाइ आपनारे। आमार एइ मन गलिये काज भुलिये सज्े तोदेर निये या रे |। तोरा कोन रूपेर हाटे चलेछिस भवेर बाटे, पिछिये आदि आमि आपन भारे, तोदेर ओइ हासिखुशि दिवानिशि देखे मन केमन करे |। आमार एइ बाँधा टुटे. निये या लटठेपुटे, पड़े थाक्‌ मनेर बोझा घरेर द्वारे-- येमन ओइ एक निमिषे वन्या एसे भासिये ने याय पारावारें।। एत ये आनागोना के आखछे जानाशोना, के आछे नाम ध'रे मोर डाकते पारे। यदि से बारेक एसे दाँडाय हेंसे चिनते पारि देखे तारे।। १८९० कर -० «३-3९ ०५७-+००३३८० >3परनन&-+का»++ ७-५७ आनिननीगिजनन कननलन्‍ल >> १. आसारे......आपनारे--मुझे कौन लेगा (ग्रहण करेगा) भाई, (में) रातदिन तुम सबों की वह हँसी खुशी देख मन (न-जाने) कंसा करता है; आमार.......पुटे--मेरे इस बन्धन को छिन्न-भिन्न कर (मुझे धूल में ) लूटाते-पुटाते ले जाओ; पड़े.....द्वारे--गृह के दरवाज़े पर मन का बोझा पड़ा रहे; येमन......पारावारे--जैसे उस एक क्षण में बाढ़ आ कर समुद्र में बहा ले जाती है; शत.......आनागोना--इतनी जो आवाजाही है; के.......जानाशोना---जाना “पहचाना (परिचित) कौन है; कें......पारे---कौन है जो मेरा नाम ले कर पुकार सकता है; यदि.......तारे---यदि वह एकबार आ हँस कर खड़ा हो (तो) उसे देख कर पहचान सकता हूँ ।




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