निकिता का बचपन | NIKITA KA BACHPAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
114
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
अलेक्सेई टॉलस्टॉय - Alexei Tolstoy
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)निकीता ने दीवार पर पैर से ठोकर लंगायी और कमरे में से धीरे-धीरे उड़ता हुआ घड़ी
की तरफ़ बढ़ गया। घड़ी के केस के ऊपर कांसे का छोटा-सा फूलदान रखा था। फूलदान में ,
उसके तल में कोई चीज़ पड़ी हुई थी जो निकीता को नज़र नहीं आ रही थी। अचानक किसी
ने निकीता के कान में फुसफुसाकर कहा -
“जो कुछ. उसमें पड़ा है, ले लो।”
निकीता घड़ी की ओर उड़ा और उसने फूलदान में हाथ घुसेड़ा। मगर इसी क्षण दीवार
पर लटकी हुई तसवीर में से जीती-जागती बुढ़िया बाहर निकली और उसने अपने हड़ीले हाथों
से निकीता का सिर पकड़ लिया। निकीता ने सिर छुड़ा लिया, मगर इसी समय दूसरी तसवीर
से बूढ़ा बाहर निकला। उसने अपनी लम्बी-सी पाइप हिलायी और ऐसे जोर से निकीता की
पीठ पर धौल जमायी कि वह फ़र्श पर जा गिरा। निकीता ने गहरी सांस ली और उसकी आंख
खुल गयी।
पाले द्वारा बनाये गये बेल-बूटों के बीच से सूरज की किरणें छन रही थीं, चमक रही
थरीं। भ्र्कादी इबानोविच पलंग के पास खड़े और तिकीता का कंधा हिलाते हुए कह रहे थे -
“उठो, उठो, नौ बज गये।”
निकीता जब आंखें मलने के बाद उठकर पलंग पर बैठ गया तो अर्कादी इवानोविच
ने कई बार श्रांख झपकाई और ख़शी से हाथ मलते हुए कहा -
“ मेरे दोस्त, ग्राज पढ़ाई नहीं होगी।”
क्यों 7
“क्योंकि, क्यों ' के अन्त में आ्राता है 'यों'। अब तुम दो हफ़्तों तक जीभ निकाले भागते
फिर सकते हो। चलो, उठो।”
निकीता उछलकर पलंग से नीचे उतरा और सुहाने फ़र्श पर नाचता हुआ चिल्ला उठा-
“क्रिसमस की छुट्टियां |”
निकीता यह बिल्कुल ही भूल गया था कि आज//से हंसी-ख़ शी के दो लम्बे सप्ताह शुरू
हो रहे हैं। भ्र्कादी इवानोविच के सामने नाचते हुए वह एक चीज़ और भी भूल गया -अपना
सपना , घड़ी के ऊपर रखा हुआ फूलदान और कान में आकर फुसफुसानेवाली वह आवाज़ -
“जो कुछ उसमें पड़ा है, ले लो1”
पुराना घर
चौदह दिन अ्रब निकीता के पूरी तरह अपने थे। जो मनमाने , वही करे। इससे कुछ
ह॒द तक तो उसे ऊब भी महसूस होने लगी।
सुबह का नाश्ता करते हुए उसने चाय , दूध , डबलरोटी और मुरब्बे को मिलाकर हलवा-सा
बना लिया और इतना पेट भर कर खाया कि कुछ देर तक उसे चुपचाप बैठे रहना पड़ा।
2-1765
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